
नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने कहा था कि एक दिन पाकिस्तान (Pakistan) का सिंध प्रांत (Sindh Province) भारत (India) का हिस्सा होगा। सिंध का भारत के राष्ट्रगान में भी जिक्र आता है और ऐसे में राजनाथ सिंह के बयान के मायने निकाले जाने लगे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सोमवार को कहा कि सिंध ही क्यों पूरा पाकिस्तान ले लीजिए। अल्वी ने कहा कि संघ नेतृत्व दावा करता है कि पड़ोसी देश कभी भारत का ही हिस्सा थे। इसलिए फिर इस पर चर्चा अकेले सिंध तक ही क्यों सीमित रहनी चाहिए।
अल्वी ने कहा, ‘सिर्फ सिंध ही क्यों? पूरा का पूरा पाकिस्तान लीजिए। जब आरएसएस प्रमुख लगातार कहते हैं कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान कभी भारत का हिस्सा थे तो फिर हमें सिर्फ सिंध को ही क्यों लेना चाहिए। उसी के बारे में बात क्यों करें। अपनी सेना को आगे बढ़ाएं और पूरे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश को ही भारत में मिला लें।’ रविवार को ही राजनाथ सिंह ने सिंध को लेकर बयान दिया था और तब से अब तक कई विपक्षी दलों के नेता उनके बयान पर निशाना साध चुके हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस के लोग तो हमेशा भड़काऊ बयान देते हैं ताकि देश के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। उन्बोंने कहा कि ऐसे बयान सिर्फ इसलिए दिए जाते हैं ताकि क्षेत्रीय स्तर पर अशांति पैदा की जा सके और जनता का ध्यान भटके। आर्थिक चुनौतियां, रोजगार और महंगाई जैसे मसलों पर ये ध्यान नहीं देते। इनसे बचने के लिए ही भावनात्मक मसले उछालते हैं। दरअसल राजनाथ सिंह ने अपना बयान लालकृष्ण आडवाणी की एक बात का जिक्र करते हुए दिया था। आडवाणी ने कहा था कि सीमाएं बदल भी सकती हैं। कौन जानता है कि कल को सिंध भारत में वापस भी लौट सकता है।
दरअसल सिंध सिंधी लोगों की मातृभूमि है। भारत में सिंधी समाज के लोगों की बड़ी आबादी है और खुद लालकृष्ण आडवाणी का भी यहीं से ताल्लुक था। सिंधु घाटी सभ्यता का भी यह मुख्य क्षेत्र रहा है। लेकिन 1947 में भारत विभाजन के बाद यह प्रांत पाकिस्तान के साथ चला गया। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में भारतीय सभ्यता में सिंध क्षेत्र की महत्ता पर भी बात की थी। उनका कहना था कि सिंध में रहने वाले बहुत से मुसलमान भी मानते हैं कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम से कम पवित्र नहीं है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने आडवाणी की बात का जिक्र किया था।
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