
नई दिल्ली.भारत सरकार (Government of India) ने एक सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है, जो प्रमुख विदेशी सरकारों को हालिया भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) संघर्ष और इस मुद्दे पर भारत के रुख से अवगत कराने के लिए उन देशों का दौरा करेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) को भी शामिल किया गया है. संसदीय कार्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि तिरुवनंतपुरम से चार बार के सांसद शशि थरूर इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. नामित अन्य सदस्यों में भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी करुणानिधि, राकांपा (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद श्रीकांत शिंदे शामिल हैं.
भारत सरकार का यह सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 23 मई से 10 दिवसीय राजनयिक मिशन पर रवाना होगा. वाशिंगटन, लंदन, अबू धाबी, प्रिटोरिया और टोक्यो जैसी प्रमुख राजधानियों का दौरा करके यह सर्वदलीय टीम आतंकवाद पर भारत की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी और ऑपरेशन सिंदूर के तहत हाल के घटनाक्रमों के बारे में विदेशी सरकारों को जानकारी देगी. बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे. इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में जैश, लश्कर और हिजबुल के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे.
राष्ट्रहित के कार्यों में कभी पीछे नहीं रहूंगा: शशि थरूर
केंद्र द्वारा गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्वकर्ता बनाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने कहा कि वह ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं, तथा उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय हित की बात होगी तो वह किसी भी मामले में पीछे नहीं रहेंगे. उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए पांच प्रमुख राजधानियों में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं. जहां राष्ट्रीय हित शामिल हो और मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा.’ वहीं कांग्रेस द्वारा सुझाए गए नामों पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने सवाल उठाए हैं.
उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘कूटनीतिक बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस पार्टी का चयन न केवल दिलचस्प है, बल्कि यह बेहद संदिग्ध भी है. उदाहरण के लिए, भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने के लिए कांग्रेस ने सैयद नसीर हुसैन का नाम सुझाया. यह वाकई चौंकाने वाला है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह उनके समर्थक ही थे जिन्होंने राज्यसभा में उनकी जीत का जश्न मनाते हुए कर्नाटक विधानसभा के अंदर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे. बेंगलुरु पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाहों की गवाही के आधार पर इस घटना के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.’
मालवीय ने आगे लिखा, ‘गौरव गोगोई के बारे में जितना कम कहा जाए उतना अच्छा है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गोगोई पर पाकिस्तान में 15 दिन बिताने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि गोगोई के सीमा पार आगमन और प्रस्थान को अटारी बॉर्डर पर आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया है. सरमा ने आगे दावा किया है कि गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न, भारत लौटने से पहले पहले सात दिनों तक उनके साथ इस्लामाबाद में थीं. भारत लौटने पर, गौरव गोगोई लगभग 90 युवाओं को पाकिस्तान दूतावास ले गए- कथित तौर पर उनमें से कई को पता नहीं था कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है.’
भाजपा ने कांग्रेस द्वारा सुझाए नामों पर उठाए सवाल
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया है कि गौरव गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न ने पाकिस्तानी सेना के साथ संबंध बनाए रखे और पाकिस्तान से वेतन प्राप्त करती रहीं- जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के टकराव पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे सांसदों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का भरोसा कैसे किया जा सकता है- खासकर पाकिस्तान से जुड़े मामलों में? कांग्रेस क्या संदेश देना चाह रही है, और वास्तव में किसके हित सध रहे हैं?’ वहीं, केरल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा में प्रतिभावान नेता नहीं हैं, इसलिए उसे अपनी सरकार का पक्ष रखने के लिए शशि थरूर जैसे कांग्रेस नेताओं की जरूरत पड़ रही है.
अमित मालवीय ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘शशि थरूर की वाकपटुता, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी के रूप में उनके लंबे अनुभव और विदेश नीति के मामलों पर उनकी गहरी अंतर्दृष्टि को कोई नकार नहीं सकता. तो कांग्रेस पार्टी और खास तौर पर राहुल गांधी ने उन्हें विदेश भेजे जाने वाले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में क्यों नहीं शामिल किया, ताकि वे प्रमुख मुद्दों पर भारत की स्थिति स्पष्ट कर सकें? क्या यह असुरक्षा है? ईर्ष्या है? या फिर ‘हाईकमान’ की जी हजूरी नहीं करने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति असहिष्णुता है?’
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