
नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Khadge) ने कहा कि वीबी-जी रामजी जी कानून के विरोध में (Against the VB-ji Ramji Law) कांग्रेस 5 जनवरी से (Congress from January 5) देशभर में सड़कों से लेकर संसद तक (Across the Country from Streets to the Parliament) आंदोलन करेगी (Will Protest) । उन्होंने मोदी सरकार पर लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया ।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की अहम बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस फैसले के विरोध में सड़कों से लेकर संसद तक आंदोलन करेगी। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘गांधी’ सरनेम से दिक्कत है। यही वजह से मनरेगा से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल एक नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि मजदूरों के अधिकार को कमजोर कर उसे खैरात योजना में बदलने की साजिश है।
खड़गे ने ऐलान किया कि 5 जनवरी से देशभर में ‘मनरेगा बचाओ अभियान’ की शुरुआत की जाएगी। मनरेगा किसी सरकार की दया से मिलने वाली योजना नहीं, बल्कि भारतीय संविधान से मिला काम का अधिकार है। यह योजना ग्रामीण मजदूरों के सम्मान, रोजगार और आत्मनिर्भरता से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासियों, वंचित वर्गों और महिलाओं को गांवों में रोजगार देकर मनरेगा ने बड़े पैमाने पर पलायन रोका है, लेकिन मौजूदा सरकार गरीबों का यह हक छीनने का प्रयास कर रही है। खड़गे ने याद दिलाया कि खुद मोदी सरकार ने नीति आयोग की रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि मनरेगा एक अच्छी योजना है और इसके तहत टिकाऊ परिसंपत्तियों (ड्यूरेबल असेट्स) का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टों में भी मनरेगा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया है। इसके बावजूद सरकार इस कानून को कमजोर करने और नाम बदलने पर आमादा है।
उन्होंने कोविड काल का जिक्र करते हुए कहा कि अगर मनरेगा जैसी योजना नहीं होती तो लाखों प्रवासी मजदूर भूख और बेरोजगारी के कारण मर जाते। यह योजना सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गरीब जनता की सुरक्षा के लिए लाई गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने एक-एक करके इसके अधिकार छीन लिए हैं। खड़गे ने चेतावनी दी कि जो लोग मनरेगा पर निर्भर हैं, उनमें भारी गुस्सा है और यह सरकार को भारी पड़ेगा, जैसा कि कृषि कानूनों के मामले में हुआ था।
खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस फैसले से पहले किसी भी स्टेकहोल्डर, राज्य या मजदूर संगठन को विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह कानून गरीबों को दबाने और कुचलने के लिए लाया गया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सड़क और संसद दोनों जगह संघर्ष करेगी। उन्होंने कहा कि जब सरकार यह दावा कर रही है कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो फिर गरीबों को रोजगार देने वाली योजना को कमजोर क्यों किया जा रहा है? उन्होंने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने को राष्ट्रपिता का अपमान बताया और कहा कि यह सिर्फ गांधी परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है। सीडब्ल्यूसी की बैठक में सर्वसम्मति से देशव्यापी आंदोलन का फैसला लिया गया है।
खड़गे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने 16 दिसंबर 2025 को संसद में स्वीकार किया था कि नीति आयोग के अध्ययन में मनरेगा के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कोरोना काल में इस योजना ने प्रवासी मजदूरों को संबल दिया। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी लगातार मनरेगा को लेकर आवाज उठाते रहे हैं और कांग्रेस आगे भी इस कानून की हिफाजत के लिए लड़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस ने शपथ ली कि मनरेगा को केंद्र में रखकर एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा। पार्टी ने संकल्प लिया कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की हर हाल में रक्षा करेगी, ग्रामीण मजदूरों के सम्मान, रोजगार, मजदूरी और समय पर भुगतान के अधिकार के लिए संघर्ष करेगी तथा मांग-आधारित रोजगार और ग्राम सभा के अधिकारों की रक्षा करेगी। साथ ही, गांधी जी का नाम हटाने और मजदूरों के अधिकार को खैरात में बदलने की हर साजिश का लोकतांत्रिक विरोध किया जाएगा।
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