
नई दिल्ली: भारत में COVID-19 मामलों में फिर से वृद्धि देखी जा रही है. विशेष रूप से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल जैसे राज्यों में ज्यादा केस देखे जा रहे हैं. मंत्रालय के अनुसार सक्रिय मामलों की संख्या 4,302 तक पहुंच गई है और हाल ही में 300 नए संक्रमण दर्ज किए गए है. ऐसे में नये पेरेंट्स के मन में अपने नवजात बच्चों की चिंता आना स्वाभाविक है. जिन घरों में बुजुर्ग हैं, उन परिवारों को भी सावधानी बरतनी शुरू कर देनी चाहिए. आइए जानते हैं कि विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं.
सर गंगा राम अस्पताल दिल्ली के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मोहसिन वली का कहना है कि इस नई लहर के पीछे NB.1.8.1 जैसे ओमिक्रॉन सबवेरिएंट्स का योगदान माना जा रहा है. डॉक्टरों के अनुसार वर्तमान में संक्रमण के लक्षण हल्के हैं, जैसे हल्का बुखार, खांसी और थकान, जो सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे लग सकते हैं. इससे लोग लक्षणों को नजरअंदाज कर सकते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.
हाल ही में बेंगलुरु में तीन नवजात शिशुओं के COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने के मामले सामने आए हैं, जिनमें एक नौ महीने का बच्चा भी शामिल है. हालांकि सभी बच्चे स्थिर हैं, लेकिन यह घटनाएं नवजातों की सेहत को लेकर चिंंता बढ़ाने वाली हैं. बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक द्विवेदी का कहना है कि नवजातों में संक्रमण के लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन सतर्कता जरूरी है. यदि बच्चे में कोई भी असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, जहां JN.1 वेरिएंट के सबवेरिएंट्स LF.7 और NB.1.8 संक्रमण फैला रहे हैं. लेकिन, भारत में अभी स्थिति कंट्रोल में हैं. भारत के लिए ये वेरिएंट बहुत खतरनाक नहीं है, क्योंकि यहां एक तरह की हर्ड इम्यूनिटी बन चुकी है. JN.1 के लक्षण पहले के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स जैसे ही हैं. इस समय, माता-पिता और देखभाल करने वालों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए.
डॉक्टरों की सलाह
नवजातों को भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रखें और बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचाएं.
हाथों की नियमित सफाई करें और मास्क पहनें, विशेषकर जब नवजात के पास हों.
यदि बच्चे में बुखार, खांसी या अन्य लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
माता-पिता और देखभाल करने वालों को कोविड वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए ताकि बच्चों को संक्रमण न हों.
एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने आजतक से बात करते हुए कहा कि ये नया वेरिएंट JN.1 यहां के लिए पुराना है. यह वेरिएंट सबसे पहले अगस्त 23 में रिपोर्ट किया गया था . लेकिन कुछ सालों में डोमिनेंट हो गया, जिसके केसेज सारी दुनिया में देखे गए. इसमें स्पाइक प्रोटीन पर म्यूटेशन है इसलिए ये ज्यादा इफेक्टिव है. ये बॉडी की इम्यूनिटी को स्केप करके इनफेक्शन करता है. इसमें ये देखा गया है कि इसमें डिजीज माइल्ड होती है जैसे जुकाम, खांसी, नजला, गले में खराश आदि लक्षण होते हैं. लेकिन जिनमें कोमॉर्बिलिटी है उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.
डॉ गुलेरिया आगे कहते हैं कि जिन लोगों को डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम या इम्यूनिटी घटाने वाली बीमारियां हैं, उन्हें ज्यादा खतरा है. अभी तक जो डेटा आया है उससे पता चलता है कि वैक्सीन से प्रोटेक्शन काफी हद तक कारगर हो रहा है. इसके अलावा ये ओमीक्रॉन लिनिएज का ही एक वेरिएंट है, ओमिक्रॉन कुछ हद तक सबको हुआ था, इसलिए जो नेचुरल इम्यूनिटी पैदा हुई वो सीवियर डिजीज से प्रोटेक्शन देगी. लेकिन क्योंकि ये वेरिएंट चेंज करते रहते हैं. वो अपने आपको सर्वाइव करने के लिए इम्यून मैकेनिज्म सिस्टम डेवलेप करते हैं. उसके कारण इनफेक्शन बीच बीच में बढ़ जाता है. समय बीतने के साथ जैसे एक्सपोजर न होने की वजह से हमारी इम्यूनिटी कम होती है तो ये लक्षण दे सकता है.
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