
पटना। बिहार में कोरोना (Corona In Bihar) के कहर की बानगी अब श्मशान घाटों पर दिखने लगी है। कोरोना से लगातार हो रही लोगों की मौत से हालात ऐसे हैं कि अंतिम संस्कार (Funeral) के लिए शवों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। एक साथ कई शवों के पहुंचने के कारण पटना के बांस घाट पर उनको जलाना मुश्किल हो रहा है।
कोरोना से हो रही मौत के बाद परिजन शवों के साथ बांस घाट के विद्युत शवदाह गृह पंहुचकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना के कारण लोग लकड़ी की बजाए विद्युत शवदाह गृह में शवों को जलाने पर जोर दे रहे हैं। बांस घाट पर विद्युत शवदाह गृह में लोग अपने परिजन के शव के साथ सुबह से शाम तक खड़े रहने को मजबूर हैं।
कोरोना के कारण परिजनों की हुई मौत के बाद परिवार वाले शव लेकर बांस घाट पहुंच रहे हैं। जो लोग सुबह 10 बजे बांस घाट पहुंचकर अपना नंबर लगा रहे, उनको शाम के 5 से 6 बजे तक नंबर मिल पा रहा है। हिन्दू परम्परा के अनुसार, परिजन जब तक शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर देते तब तक भूखे प्यासे रहते हैं। ऐसे में अपनी बारी के इंतजार में लोग कई घंटों तक भूखे रह रहे हैं। पिछले दिनों बांस घाट में 30 शव जलाने के लिए लाये गए थे। एक शव के अंतिम संस्कार में लगभग घंटे भर का समय लग रहा है, ऐसे में परिजन सुबह से शाम तक अपनी बारी का इंतजार करने को मजबूर हैं।
कोरोना से हुई मौत के बाद जिला प्रशासन शव को परिजनों को सौप देता है, जहां से परिजन सीधे बांस घाट पहुच रहे है। यहां विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था होने के कारण लोग यहीं अंतिम संस्कार करना चाहते हैं। विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था गुलबी घाट में भी है पर सिर्फ एक ही विद्युत शवदाह गृह होने के कारण बांस घाट में भीड़ बढ़ गई है। बांस घाट में दो शवदाह गृह हैं, पर एक ही चलाने के कारण भीड़ बढ़ गई है।
घाट पर विद्युत शवदाह गृह में जलाने के लिए प्रशासन की तरफ से 300 रुपये शुल्क निर्धारित है, पर लंबी लाइन रहने के बाद जलाने के लिए मनमाने पैसे वसूले जा रहे हैं। पटना के रहने वाले ब्रजराज अपने पिता की कोरोना से हुई मौत के बाद शवदाह के लिए बांस घाट पहुंचे थे। ब्रजराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिता के अंतिम संस्कार के लिए 300 रु की जगह 16 हजार रुपए लिया गया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved