
इंदौर। निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नगर निगम (Municipal Corporation) के सहायक राजस्व अधिकारी अरविन्द नायक (Arvind Nayak) को निलंबित (Suspended) कर दिया। अग्रवाल पब्लिक स्कूल (Agarwal Public School) उर्फ लर्न बाय अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट (Learn by Agarwal Charitable Trust) के सम्पत्ति कर खाते में बिना सक्षम स्वीकृति हेरी-फेरी की गई, जिसके चलते उक्त कार्रवाई की गई। पूर्व में अग्रवाल पब्लिक स्कूल के सम्पत्ति कर की कुल मांग 3 करोड़ 19 लाख 79 हजार 612 रुपए दर्ज होना बताई गई थी, जो बाद में घटकर 1 करोड़ 82 लाख 88 हजार 53 कर दी गई। यानी लगभग सवा करोड़ रुपए से अधिक की राशि एरिया घटाने के साथ कम कर दी गई और इसके लिए कोई मंजूरी भी नहीं ली गई।
नगर निगम ने नित नए घोटाले और गड़बडिय़ां उजागर होते हैं और उसका राजस्व विभाग भी हमेशा बदनाम रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही ईओडब्ल्यू ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था और उसके पूर्व भी राजस्व विभाग के की अधिकारी-कर्मचारी निलंबित भी हो चुके हैं। दरअसल, सम्पत्ति कर के खातों में गड़बड़ी की जाती है। पहले नोटिस अधिक राशि का भेजा जाता है और उसके बाद राशि घटा दी जाती है। अभी आयुक्त श्री यादव ने ग्राम बिचौली मर्दाना स्थित सम्पत्ति कर के खाते में संशोधन की प्राप्त शिकायत की जांच अपर आयुक्त राजस्व से करवाई और उनके जांच प्रतिवेदन के आधार पर अग्रवाल पब्लिक स्कूल का निगम रिकॉर्ड झोन क्रमांक 19, वार्ड 76, जो कि लर्न बाय अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम भी है, उसका खाता 2014-15 से दर्ज है और सम्पत्ति कर खाता ई-पोर्टल पर 23 अगस्त 2025 की स्थिति में 5 लाख 77 हजार 6 वर्ग फीट होकर कुल मांग 3 करोड़ 19 लाख रुपए से अधिक दर्ज पाई गई, जो कि वर्तमान में पोर्टल पर 11 सितम्बर 2025 की स्थिति में घटकर 1 करोड़ 82 लाख ही रह गई और एरिया भी 3 लाख 15 हजार 525 वर्गफीट बता दिया।
श्री नायक ने सहायक राजस्व निरीक्षक की यूजर आईडी से बिना सक्षम स्वीकृति प्राप्त किए एरिया के साथ-साथ सम्पत्ति कर राशि भी सवा करोड़ रुपए से अधिक घटा दी। उक्त कृत्य निगम को वित्तीय क्षति पहुंचाने के चलते आयुक्त ने श्री नायक को निलंबित करने के साथ ट्रेंचिंग ग्राउंड में पदस्थ करने के आदेश दिए। यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम में पूर्व में भी इस तरह के मामले आ चुके हैं, जिनमें बड़ी सम्पत्तियों, जिनमें होटल, शॉपिंग मॉल, व्यवसायिक निर्माण सहित अन्य में भी इसी तरह आर्थिक गड़बडिय़ां की जाती रही हैं। निगमायुक्त द्वारा इस कार्रवाई के बाद राजस्व विभाग में हड़कम्प मच गया है। बीते दो दिनों से निगम के राजस्व विभाग में इस मामले की जांच चल रही थी और आयुक्त ने संबंधित दस्तावेजों के साथ जांच प्रतिवेदन भी तैयार करवाया और उसके बाद निलंबन की कार्रवाई की गई, जिसका आदेश 10 अक्टूबर यानी कल रात जारी किया गया।
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