जेद्दा। सऊदी अरब (Saudi Arabia) को एक कट्टर इस्लामिक मुल्क (Radical islamic country) के तौर पर दुनिया में देखा जाता है। लेकिन दुनिया के बदलावों और आधुनिक जिंदगी के आकर्षण ने सऊदी अरब (Saudi Arabia) में भी बदलाव की लहर ला दी है। हालात यह हैं कि तेजी से ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जो शादी नहीं करना चाहते। ऐसे लोगों में लड़कियों की संख्या भी पर्याप्त है, जो शादी को ना कर रही हैं। इसी विषय को लेकर सऊदी अरब में एक पैनल का गठन हुआ है, जो शादियों की गिरावट के कारणों की पड़ताल करेगा। ‘शादियों में क्यों हो रही कमी’ शीर्षक से पैनल एक रिपोर्ट तैयार करेगा।
अब तक पैनल ने जो पाया है, उसके मुकाबिक प्यार, कमिटमेंट जैसी चीजों में कमी आई है। इसके कारण भी शादियों की संख्या घट रही है। पैनल ने कई जगहों पर इस मसले पर सेमिनार भी किए हैं और युवाओं की काउंसिलिंग का प्रयास किया गया है। अरब न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार Ta3mq नाम के संगठन ने जेद्दा में एक सेमिनार का आयोजन किया। इसमें मनोविज्ञान, कम्युनिटी लीडरशिप और यूथ एंगेजमेंट से जुड़े लोग शामिल हुए। इस सेमिनार में इस बात पर मंथन हुआ कि आखिर सऊदी अरब जैसे परंपरावादी समाज में भी शादियों की संख्या क्यों कम हो रही है।
वहीं मौजूद एक्सपर्ट्स ने बताया कि आखिर क्यों शादियां कम हो रही हैं और इस संकट को कैसे खत्म किया जा सकता है। इस दौरान यह सवाल भी उठा कि कैसे आधुनिकता के साथ मेल बिठाते हुए अपनी परंपराओं को कायम रखा जा सकता है। इसके अलावा एक एक्सपर्ट ने कहा कि सबसे जरूरी है कि लोगों के बीच संवाद कायम रहे। यदि ऐसा होगा तो लोग रिश्ते में जाएंगे भी और उसे पसंद भी करेंगे। इसके अलावा एक बात यह भी सामने आई कि युवा पीढ़ी शादियों को लेकर कई बंदिशों को गैर-जरूरी मानती हैं।
इन लोगों को लगता है कि वे फाइनेंशियल तौर पर मजबूत हों, तभी शादी करें। वहीं स्थापित परंपरा यह रही है कि जल्दी शादी करें और फिर परिवार के लिए मेहनत करें। एक एक्सपर्ट ने तो कहा कि देरी से शादी करना भी गलत है और इसके कारण साथ आने वाले दोनों लोगों के बीच पहले से ही कई धारणाएं होती हैं और इससे रिश्ते को चलाने में ज्यादा चुनौती आती है।
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