
न्यूयॉर्क/नई दिल्ली। विदेशमंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा है कि उन देशों का पर्दाफाश किया जाना चाहिए जो ऐसे आतंकवादियों को सरकारी मेहमान (Official guest to terrorists) बनाते हैं जिनके हाथ निर्दोष लोगों के खून से रंगे हैं। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की लड़ाई को कमजोर बना रहे हैं।
जयशंकर ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में “आतंकवाद से अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को ख़तरा” विषय पर बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक मुख्य रूप से आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट या अलकायदा के खतरे के बारे में आयोजित की गयी थी लेकिन इसमें अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान आतंकवादियों के कब्जे और वहां से पैदा होने वाले आतंकी खतरे मुद्दा छाया रहा।
बैठक में भारत के विदेशमंत्री के रूप में विचार व्यक्त करते हुए जयशंकर ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम से क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर आतंकवाद के नए खतरे का हमें सामना करना पड़ सकता है। इस सम्बन्ध में उन्होंने पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी संगठन हक्कानी गिरोह की बढ़ती हुई गतिविधियों की ओर दुनिया का ध्यान दिलाया।
विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान हो या भारत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन दूसरों की शह पर बिना किसी रोक-टोक के अपनी आतंकी गतिविधियां चला रहे हैं। आतंकवादी हक्कानी गिरोह ने हमारी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, जातीय समूह, सभ्यता और क्षेत्र से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही आतंकवाद को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जाना चाहिए।
आतंकवाद की तुलना कोरोना महामारी से करते हुए उन्होंने कहा “जब तक सब लोग सुरक्षित नहीं होते, हम स्वयं सुरक्षित नहीं हो सकते।”
जयशंकर ने कहा कि हमारे पड़ोस में इस्लामिक स्टेट (खुरासान) की ताकत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और वह अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है। आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय संधि करने के बारे में भारत की पहल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संधि के बारे में कायम गतिरोध खत्म किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के बारे में हमें दोहरा रवैया अपनाने से बचना चाहिए। आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र सूची में शामिल करने अथवा उनका नाम हटाने के बारे में राजनीति और संकीर्णता से ऊपर उठकर फैसला करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के बारे में दोहरा रवैया अपनाने वाले देशों के खिलाफ खुलकर खुलकर बोलने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी आतंकवादी होता है तथा यदि हम इस संबंध में एकांगी रवैया अपनाते हैं तो इसका अर्थ खुद को संकट में डालना होगा। आतंकवाद से कतई समझौता नहीं किया जा सकता।
जयशंकर ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपने आठ सूत्रीय पुराने फार्मूले को दोहराया, जिसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन, इसको लेकर दोहरे रवैए से ऊपर उठना, आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और आतंकवादियों को आर्थिक संसाधन मुहैया कराने से बचने के खिलाफ कायम अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ को मजबूत बनाने के सुझाव शामिल हैं। उन्होंने आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह और आर्थिक संसाधन जुटाने के बारे में लगातार सचेत रहने पर जोर दिया। (एजेंसी, हि.स.)
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