
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में करीब 30 डॉलर से भी ज्यादा की गिरावट हुई है, इसके बावजूद इसका लाभ तेल विपणन कंपनियों ने उपभोक्ताओं को नहीं दिया। ऐसे में सरकार ईंधन उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की नीति की समीक्षा करना चाह रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जून-जुलाई के बीच एक माह में पेट्रोल की कीमत में 17 फीसदी से अधिक और डीजल में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। सरकार ने जब मई में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की तो कंपनियों ने केवल उतनी ही राशि कीमतों में कम की और अपनी ओर से कोई रियायत उपभोक्ताओं को नहीं दी। कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल में 130 डॉलर प्रति बैरल थीं और इस समय यह कई बार 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे जा चुका है। इसके बावजूद कंपनियों ने दाम नहीं घटाए।
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