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जिस उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई, उसके काउंटिंग एजेंट थे दीपक प्रकाश, अब नीतीश सरकार में बन गए मंत्री

November 22, 2025

नई दिल्ली: बिहार की राजनीति (Bihar politics) में इस बार सिर्फ सीटों का फेरबदल ही नहीं, बल्कि कई रोचक कहानियां भी सामने आ रही हैं. नीतीश कुमार की कैबिनेट (Nitish Kumar’s cabinet) में RLM कोटे से मंत्री बनाए गए दीपक प्रकाश (Deepak Prakash) को लेकर एक दिलचस्प मामला सामने आया है. दीपक इस चुनाव में सासाराम विधानसभा सीट (Sasaram Assembly seat) पर एक ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट बने थे, जिसकी जमानत तक जब्त हो गई और कुल 327 वोट मिले.

दीपक प्रकाश सासाराम विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामायण पासवान के लिए काउंटिंग एजेंट बने थे. नतीजे आए तो रामायण पासवान को सिर्फ 327 वोट हासिल हुए और उनकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि, दीपक की मां स्नेहलता इसी सीट से राष्ट्रीय लोकमत (RLM) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बन गईं.


हाल ही में नीतीश सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हुआ और RLM कोटे से दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली. दीपक को पंचायती राज मंत्री बनाया गया है. दीपक, RLM अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं. इस चुनाव में दीपक खासे सक्रिय रहे हैं. दिलचस्प यह है कि जहां एक ओर दीपक प्रकाश की मां स्नेहलता कुशवाहा इसी सीट से चुनाव मैदान में थीं, वहीं स्वयं दीपक प्रकाश अपनी मां की काउंटिंग टीम में शामिल होने के बजाय निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के RO बने थे.

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, मतगणना के दौरान दीपक प्रकाश की भूमिका एक निर्दलीय प्रत्याशी के अभिकर्ता की थी. चुनाव आयोग द्वारा जारी पहचान पत्र में भी यह दर्ज है कि वे रामायण पासवान के काउंटिंग RO के रूप में तैनात थे. निर्दलीय प्रत्याशी रामायण पासवान को इस चुनाव में सिर्फ 327 वोट मिले. इतनी कम संख्या के चलते उनकी जमानत भी जब्त हो गई. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में दीपक जिस उम्मीदवार के काउंटिंग RO थे, वो चुनाव में पिछड़ गए और दीपक खुद बाद में मंत्री पद तक पहुंच गए.

चुनावी दस्तावेजों में मौजूद यह जानकारी अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. दीपक ने शनिवार को मंत्रालय जाकर पंचायती राज मंत्री के तौर पर पद्भार संभाल लिया है. फिलहाल, बिहार की राजनीति में यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि काउंटिंग RO का काम बेहद संवेदनशील होता है. किसी उम्मीदवार के वोटों की निगरानी से लेकर मतगणना के समय टेबल पर मौजूद रहने तक यह चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है.

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