
नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस (Congress) पर दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस नेता जहां सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन खत्म करने की वकालत कर रहे हैं, वहीं पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल इंडिया गठबंधन (India Alliance) के मद्देनजर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहता है।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में हुई मैराथन समीक्षा बैठक में प्रदेश कांग्रेस के लगभग सभी नेताओं ने प्रदेश में राजद के साथ गठबंधन खत्म करने की वकालत की थी। प्रदेश कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गठबंधन की वजह से पार्टी का संगठन और वोट बैंक, दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
पार्टी को बिहार में अपने पैरों पर खड़ा होना है तो राजद से गठबंधन खत्म करना होगा। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजद के साथ गठबंधन से पार्टी को नुकसान हुआ है। राजद से गठबंधन में जहां कोई जाति कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहती, वहीं मुस्लिम भी एआईएमआईएम को वोट दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा सहित कई नेता पिछले कई चुनावों से एकला चलो की मांग करते रहे हैं। उनकी दलील है कि राजद के साथ गठबंधन में कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं हुआ है। इसलिए, पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए। पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत करते हुए अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
इन सबके बावजूद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने इंडिया गठबंधन की एकजुटता का प्रश्न है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि जल्दबाजी में एकतरफा निर्णय के बजाय कांग्रेस को सोच-समझकर फैसला करना चाहिए। क्योंकि, इसका सीधा असर इंडिया गठबंधन पर होगा। राजद इंडिया गठबंधन का अहम घटकदल है।
तृणमूल कांग्रेस पहले ही इंडिया गठबंधन से किनारा कर एकला चलो का रास्ता अपना चुकी है। मुंबई महानगरपालिका चुनाव में महाविकास अघाड़ी के घटकदल आमने-सामने हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सपा पर दबाव बनाने के लिए अकेले स्थानीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। झारखंड में सब कुछ ठीक नहीं है। ऐसे में, इंडिया गठबंधन का कोई वजूद नहीं रहेगा। क्योंकि, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में यूडीएफ के साथ कांग्रेस पहले से ही गठबंधन में है।
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