
नई दिल्ली। वर्षा यानी मानसून (monsoon) का मौसम चार महीने (Four months) यानी जून से सितंबर का होता है। एक जून को देश में मानसून प्रवेश करता है। सितंबर के दूसरे सप्ताह से छंटना शुरू हो जाता है। लेकिन, जलवायु खतरों (climate hazards) के चलते इसमें परिवर्तन आ चुका है। देश में इसे पिछले कई वर्षों से स्पष्ट महसूस किया जा रहा है। इसके चलते अब मानसून के सीजन बदलने पर विचार शुरू हो गया है। इसमें कम से कम 15 दिनों का बदलाव (At least 15 days change) किया जा सकता है ताकि कृषि से जुड़ी तैयारियों (Agriculture related preparations) में भी जरूरी बदलाव किया जा सके।
प्रत्यक्ष रूप से स्थापित हो चुका
अर्थ साइंस विभाग के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा कि मानसून शिफ्ट हुआ है। अब यह प्रत्यक्ष रूप से स्थापित हो चुका है। इस साल भी और पिछले वर्षों भी देखा गया है कि उत्तर भारत से मानसून छंटने में विलंब हो रहा है। मोटे तौर पर अक्टूबर मध्य तक मानसून की गतिविधियां जारी रहती हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी पुणे इस पर अध्ययन कर रहा है व इनमें विचार आया है कि मानसून सीजन को 15 जून से 15 अक्तूबर तक घोषित किया जाए। अभी 1 जून से 30 सितंबर का होता है। रविचंद्रन ने कहा कि इस विषय पर आगे चर्चा होगी। दरअसल, मानसून जून में देश में दस्तक तो दे देता है, पर यह देखा गया है कि शुरुआती दिनों में उसकी सक्रियता कम रहती है।
15 जून के बाद ही मानसून देश में ठीक से सक्रिय होता है। डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि मानूसन की अवधि में बदलाव से लोगों में खास कृषि कार्य करने वालों को मानसून के अनुरूप गतिविधियों को निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
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