
नई दिल्ली । दिल्ली(Delhi) के वसंत कुंज स्थित संस्थान की छात्राओं ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती(Swami Chaitanyananda Saraswati) उर्फ डॉ. पार्थसारथी (Dr. Parthasarathy)पर गंभीर आरोप(serious allegations) लगाए हैं। छात्राओं ने पुलिस को बताया कि करियर तबाह करने की धमकी देकर आरोपी छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न करता था। इसके अलावा वह लालच भी देता था। वह लालच और धमकी के सहारे लड़कियों को कमरे में आने का दबाव डालता था।
आरोप है कि चैतन्यानंद ने ओडिशा की एक छात्रा को रात में अपने कमरे में आने के लिए कहा। छात्रा ने जब मना किया तो आरोपी ने उसे फेल कर करियर बर्बाद करने की धमकी भी दी। वह सभी छात्राओं को रुपये, विदेश में घूमने और करियर बनाने का वादा कर अपने पास बुलाने की कोशिश करता रहता था। सूत्रों ने बताया कि संस्थान का निदेशक होने की वजह से आरोपी का काफी दबदबा था। उसकी अनुशंसा पर किसी का भी करियर बन और बिगड़ सकता था। इसलिए उसका संस्थान में खौफ भी था। वह लड़कियों को कमरे में आने पर विदेश घुमाने का लालच देता था और ना आने पर करियर बर्बाद करने की धमकी। दोनों ही तरीकों से वह लड़कियों को अपने पास बुलाने की कोशिश करता था।
शारीरिक संबंध बनाने का दबाव
आरोपी चैतन्यानंद के निशाने पर वह छात्राएं थीं, जिन्हें ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति मिली है। वह इन पर अलग-अलग तरह से दबाव बनाकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए बुलाता था। उसे ऐसा लगता था कि आर्थिक तौर पर कमजोर होने की वजह से छात्राओं को वह आसानी से अपने जाल में फंसा लेगा।
संस्थान के 10 कर्मचारी रडार पर
वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस के रडार पर स्वामी चैतन्यानंद के अलावा संस्थान के दस कर्मचारी भी रडार पर हैं। ये कर्मचारी वार्डन, शिक्षक और अन्य पदों पर कार्यरत हैं। पुलिस ने तीन वार्डन से पूछताछ भी की है और इनके बयान दर्ज कर छोड़ दिया है। जांच से जुड़े पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी स्वामी चैतन्यानंद करीब 12 साल से यहां था। इसलिए संस्थान पर उसकी पकड़ थी। इसकी वजह से छात्राओं को स्वामी चैतन्यानंद के पास जाने के लिए वार्डन, टीचर और प्रशासनिक पद पर बैठे कुछ लोग दबाव बनाते थे।
अश्लील मैसेज भेजता था
आरोपी अक्सर छात्राओं को व्हाट्सऐप एसएमएस के जरिए अश्लील मैसेज भेजता था। फिर कुछ वार्डन अगले दिन छात्राओं के मोबाइल की जांच कर उस मैसेज को डिलीट कराते थे। इसके अलावा मोबाइल की जांच कर यह भी देखते थे कि कहीं स्क्रीन शॉट तो लिया नहीं गया है। छात्राओं ने कुछ शिक्षक से शिकायत की तो उन्हें डांट दिया गया।
सीसीटीवी फुटेज भी हटाई
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी तक 50 छात्राओं के फोन की जांच की गई है। इन सभी के व्हाट्सऐप से चैट डिलीट करा दी गई हैं। इन्हें दोबारा प्राप्त करने के लिए इफ्सो भेजा जा रहा है। आरोपी ने सीसीटीवी फुटेज भी संस्थान के डीवीआर डिलीट करा दी है।
संस्थान के बाहर तैनात किए बाउंसर
इन आरोपों के खुलासे के बाद संस्थान के बाहर बाउंसर तैनात कर दिए गए थे। ये बाउंसर संस्थान के बाहर खड़े लोगों से भी दुर्व्यवहार कर रहे थे। इसके अलावा संस्थान से भी कोई भी शख्स बाहर निकल कर नहीं आया था। आसपास के लोगों ने बताया कि आम दिनों में इस गेट पर इतना पहरा नहीं रहता है।
संस्थान ने बंद किए सभी नंबर
श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रिसर्च ने अपने दाखिले से लेकर अन्य संपर्क नंबरों को बंद कर दिया है। यही नहीं, अधिकांश अधिकारियों व शिक्षकों ने भी अपने नंबर बंद कर दिए हैं। संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर नौ अगस्त को स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती से जुड़ी सार्वजनिक जानकारी का नोटिस चस्पा किया है। इसमें लिखा गया है कि जनता को सूचित किया जाता है कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती, जिन्हें पहले स्वामी (डॉ.) पार्थसारथी के नाम से जाना जाता था, ने ऐसे कार्य किए हैं जो अवैध, अनुचित और संस्थान के हितों के प्रतिकूल हैं। इस कारण उनसे सभी संबंध समाप्त कर दिए गए हैं।
पार्थ सारथी ने कथित तौर पर 28 पुस्तकें लिखी हैं
यौन उत्पीड़न के आरोपी 62 वर्षीय बाबा ने कथित तौर पर 28 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें प्रमुख हस्तियों द्वारा लिखी गयी प्रस्तावनाएं और समीक्षाएं शामिल हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। ई-कॉमर्स साइट पर लेखक के बारे में दिए गए विवरण में सरस्वती को “एक प्रख्यात प्रोफेसर, प्रख्यात लेखक, वक्ता, शिक्षाविद्, आध्यात्मिक दार्शनिक और परोपकारी, तथा भारत व विदेश में प्रबंधन शिक्षा जगत की एक प्रतिष्ठित हस्ती” बताया गया है।
मुकदमा दर्ज होने के बाद नाम बदला
पुलिस को अंग्रेजी अखबार में दिया गया एक विज्ञापन मिला है। इस विज्ञापन में आरोपी पार्थ सारथी ने संन्यास लेने के बाद अपना नाम स्वामी चैतन्यानंद रखने की घोषणा करता है। बताया जाता है कि जब 2009 में डिफेंस कालोनी में आरोपी पर छेड़छाड़ की एफआईआर हुई थी तब उसके बाद यह विज्ञापन दिया था। आरोपी ने डाक्टरेट की डिग्री होने एवं अमेरिकी विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट पढ़ाने का दावा किया था। लेकिन कहीं से भी इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है।
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