
उज्जैन। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के गर्भगृह (Sanctum Sanctorum) में वीआईपी, नेताओं, और प्रभावशाली लोगों के प्रवेश को लेकर इंदौर के युवक ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर बेंच में जनहित याचिका लगाई है। याचिका में सवाल उठाया गया है कि देश और अन्य राज्यों से आने वाले लाखों भक्त नंदी हॉल के बाद लगे बैरिकेड से बाबा महाकाल के दर्शन करने को मजबूर हैं, जबकि नेता और वीआईपी आसानी से गर्भगृह में प्रवेश पा रहे हैं। बेंच ने गुरुवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। जनहित याचिका में प्रदेश सरकार, महाकालेश्वर मंदिर ट्रस्ट समिति, उज्जैन कलेक्टर और एसपी को पक्षकार बनाया गया है। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने इस जनहित याचिका का समर्थन किया है। महासंघ ने कहा है कि ऐसी नीति बनाई जाए, जिसके तहत आम भक्त भी गर्भगृह में जाकर बाबा महाकाल के दर्शन कर सकें, भले ही इसके लिए शुल्क और समय निर्धारित कर दिया जाए।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल गर्भगृह में किसी भी श्रद्धालु के प्रवेश पर करीब डेढ़ साल से रोक लगी हुई है। सिर्फ पंडे-पुजारियों, सीएम, राज्यपाल या अतिविशिष्ट श्रद्धालुओं को ही अनुमति लेकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति है। सामान्य श्रद्धालु शिवलिंग से 50 फीट दूर से दर्शन कर सकते हैं। अब आम श्रद्धालुओं के लिए गर्भगृह में प्रवेश पर रोक और नेताओं, वीआईपी और प्रभावशाली लोगों के विशेष प्रवेश को लेकर मामला इंदौर हाईकोर्ट पहुंच गया है। बता दें कि महाकाल मंदिर में एक आईपीएस, दो डिप्टी कलेक्टर और करीब 9 अधिकारियों सहित सैकड़ों कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इसके बाद भी महाकाल गर्भ गृह में जाने के मामले नहीं रुक रहे हैं।
इंदौर के याचिकाकर्ता दर्पण अवस्थी ने एडवोकेट चर्चित शास्त्री के माध्यम से हाईकोर्ट में दलील दी कि प्रभावशाली लोगों को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पूजा का अवसर मिलता है, जबकि देशभर और अन्य राज्यों से आने वाले लाखों श्रद्धालु केवल बाहर से ही दर्शन करने को मजबूर रहते हैं। याचिका में यह मांग की गई है कि वीआईपी के नाम पर गर्भगृह में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाए या फिर ऐसी नीति बनाई जाए जिसके तहत आम भक्त भी गर्भ गृह में जाकर बाबा महाकाल के दर्शन कर सकें।
डेढ़ साल में पहले लगी थी रोक मंदिर ने बताई यह वजह
महाकाल मंदिर समिति ने बैठक कर साल 2023 के सावन महीने में आने वाली भीड़ को देखते हुए 2 माह तक के लिए गर्भगृह बंद किया गया था। उस वक्त मंदिर समिति ने कहा था कि सावन खत्म होते ही गर्भ गृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अब डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गर्भगृह नहीं खोला गया है। मंदिर समिति का कहना है कि महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर में रोजाना 20 से 30 हजार श्रद्धालु पहुंचते थे। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में चार गुना वृद्धि हो गई है। अब यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख तक पहुंच गई है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में भक्तों को गर्भ गृह में प्रवेश देना नामुमकिन है, इसीलिए मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा रखी है।
आम भक्तों के लिए जनहित याचिका
जानकारी के अनुसार, इंदौर विधायक गोलू शुक्ला और उनके बेटे रुद्राक्ष द्वारा जबरन महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के मामले के बाद इंदौर निवासी दर्पण अवस्थी ने मंदिर समिति से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि नेताओं, अधिकारी और अन्य प्रभावशाली लोगों को गर्भगृह में प्रवेश किसके आदेश पर दिया जाता है, लेकिन समिति ने किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया। इसके बाद दर्पण अवस्थी ने वकील चर्चित शास्त्री के मध्यम से मंदिर की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए और देशभर से आने वाले भक्तों को गर्भगृह में दर्शन की अनुमति दिलाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
अखिल भारतीय राषटीय पुजारी महासंघ ने किया समर्थन
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूपेश मेहता ने बताया कि महासंघ महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ दायर याचिका का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों से पुजारी महासंघ द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को पत्र भेजकर आम भक्त को गर्भगृह में प्रवेश की मांग की जाती रही हैं, साथ ही सुलभ दर्शन के लिए कई बार सुझाव भी दिए गए कि वीआईपी के नाम पर गर्भगृह में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाए।
याचिकाकर्ता दर्पण अवस्थी ने बताया कि 8 महीने महाकाल मंदिर गया था, वहां देखा कि आम भक्त पीछे से दर्शन कर रहे हैं। वीआईपी लोग गर्भगृह से दर्शन कर रहे थे। उन्होंने इस स्थिति का वीडियो बनाकर शेयर किया, जिसे लगभग एक मिलियन से अधिक लोग देख चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई राजनीतिक हस्तियों से संपर्क किया, लेकिन किसी से मदद नहीं मिली। इंदौर महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने उन्हें सलाह दी कि इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाएं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय सचिव रूपेश मेहता का कहना है कि विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में पिछले 2 वर्षों से आम भक्तों का गर्भगृह में प्रवेश बंद है, लेकिन अति विशिष्ट और महामंडलेश्वर आदि का प्रवेश जारी है। इसी दौरान गर्भ गृह में प्रवेश बंद के दौरान कई रसूखदार लोग भी गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं। श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की तर्ज पर किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाए, क्योंकि प्रभावी लोग तो अपने प्रभाव और रसूख का इस्तेमाल कर गर्भगृह में आसानी से प्रवेश पा रहे हैं, लेकिन हजारों किमी दूर से आने वाले आम भक्त गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होने से बाहर से दर्शन करने को मजबूर हैं। मंदिर समिति के नियमानुसार, गर्भ गृह में केवल विशिष्ट, अतिविशिष्ट और महामंडलेश्वर ही प्रवेश करते हैं। गर्भगृह में वीआईपी के नाम पर अपात्र लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है, जो अनुचित है जिससे मंदिर की मर्यादा और प्रतिष्ठा धूमिल हो रही हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved