
नई दिल्ली । एपेक्स बॉडी लेह (ABL) ने बुधवार को लेह में एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन(Peaceful protests) आयोजित किया। इस दौरान मशहूर पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक(Education reformer Sonam Wangchuk) ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा(Full statehood status to Ladakh) देने और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर 35 दिनों का अनशन शुरू कर दिया है। इससे पहले ABL ने लेह में ‘सर्व धर्म प्रार्थना सभा’ का आयोजन किया, जिसमें सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस मौके पर वांगचुक ने कहा कि यह संदेश देने के लिए एक सर्व-धर्म प्रार्थना सभा आयोजित की गई कि विरोध शांतिपूर्ण, अहिंसक है और उनकी माँगें भारतीय संविधान के दायरे में हैं।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जलवायु कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और ‘रेमन मैग्सेसे’ पुरस्कार विजेता वांगचुक ने कहा कि उन्होंने बुधवार से एक और अनशन शुरू करने का निर्णय लिया है क्योंकि उनकी मांगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दो महीने से कोई बैठक नहीं बुलाई है। वांगचुक ने कहा कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वह अपना प्रदर्शन तेज करने को मजबूर हो रहे हैं।
उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘कुछ लोगों के लिए एक कंपनी ही देश बन गई है। पूर्वी लद्दाख में लगभग 48,000 एकड़ ज़मीन सौर ऊर्जा परियोजना के लिए चिह्नित की गई है। यह जमीन फ़िलहाल भारतीय सौर ऊर्जा निगम को दी जा रही है लेकिन कहा जा रहा है कि अंततः इसे किसी निगम को दे दिया जाएगा…।’’
कंपनी का विरोध करना भारत का विरोध कैसे?
वांगचुक ने दुख जताते हुए कहा, ‘‘क्या कंपनी का विरोध करना भारत का विरोध करने के बराबर है? एचआईएएल एक ऐसा संस्थान है जहां छात्रों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता। हम जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन कर रहे हैं और वे हमारी ज़मीन वापस लेना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ लद्दाख के लिए ही नहीं बल्कि पूरे हिमालय और देश के लिए चिंता का विषय है। वांगचुक ने आशंका व्यक्त की कि हर संघर्ष में भारतीय सेना के साथ खड़े लद्दाख के लोग इससे प्रभावित होने लगेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख के लोग हमेशा राष्ट्रवादी रहेंगे लेकिन मुझे डर है कि वे दिल्ली और मुंबई के लोगों जैसे हो जाएंगे… जब सीमा पर हमला होता है तो लद्दाख के लोग ही सेना की मदद करते हैं। उनका बोझ उठाते हैं और उनके लिए काम करते हैं। दिल्ली के लोग सीमा पर दुश्मन का सामना करने नहीं आते।’’ वांगचुक ने कहा, ‘‘मुझे डर है कि लद्दाख के लोगों की भावना प्रभावित हो सकती है।’ (भाषा इनपुट्स के साथ)
आगामी चुनाव से पहले पूरा करो वादा
उन्होंने कहा, ‘‘करीब दो महीने पहले केंद्र सरकार के साथ बातचीत रुक गई थी। मुख्य मांगों पर चर्चा शुरू होने ही वाली थी, लेकिन सरकार ने आगे कोई बैठक नहीं बुलाई।’’ वांगचुक ने कहा कि लेह में ‘हिल काउंसिल’ के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं और उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को याद दिलाया कि पिछले काउंसिल चुनाव में उसने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने का वादा किया था। उन्होंने कहा, ‘‘आगामी चुनाव से पहले वादा पूरा किया जाना चाहिए।’’
गांधी जयंती एक ‘ऐतिहासिक दिन’ होगा
वांगचुक ने कहा कि 35 दिन तक अनशन किया जाएगा और उनके इस प्रदर्शन में गांधी जयंती (दो अक्टूबर) एक ‘ऐतिहासिक दिन’ रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेह एपेक्स बॉडी ने यह संदेश देने के लिए एक सर्व-धर्म प्रार्थना सभा आयोजित की कि हमारा विरोध शांतिपूर्ण, अहिंसक है और हमारी मांगें भारतीय संविधान के दायरे में हैं।’’ वांगचुक ने कहा कि सरकारी एजेंसियां उन्हें परेशान कर रही हैं और उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिला है। कथित तौर पर विदेशी चंदा स्वीकार किए जाने के मामले में उनके खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जांच भी शुरू की गई है।
मेरे खिलाफ CBI जांच हो रही
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मेरे खिलाफ सीबीआई जांच शुरू कर दी है। मैं इसे स्वीकार करता हूं… सीबीआई के अधिकारी आए और कहा कि मैं विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) लाइसेंस के बिना विदेशी चंदा ले रहे हैं… मैं कोई विदेशी चंदा नहीं लेता, हम अपने ज्ञान के लिए सेवा शुल्क लेते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनके संस्थान ‘हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग’ ने अफगानिस्तान में आवास निर्माण के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ घर बनाने की तकनीक साझा की है और इसी तरह की जानकारी कुछ अन्य विदेशी संस्थानों के साथ भी साझा की गई है।
आयकर विभाग से भी नोटिस
वांगचुक ने कहा कि उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिला है। लद्दाख प्रशासन ने पिछले महीने लेह में एचआईएएल का भूमि आवंटन रद्द कर दिया था। वांगचुक ने कहा, ‘‘वे मेरे खिलाफ जांच के लिए सीबीआई, ईडी भेज सकते हैं लेकिन उन्हें केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और हिल काउंसिल के खिलाफ आरोपों की भी जांच करनी चाहिए। ’’ जलवायु कार्यकर्ता ने कहा कि उन पर ‘देशद्रोह’ का आरोप लगाया जा रहा है। वांगचुक ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने क्या गलत किया है।
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