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पहलगाम हमले की न्यायिक जांच की मांग खारिज, SC ने कहा- रिटायर्ड जज कब से हो गए इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट?

May 02, 2025

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant) और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह (Justice N Kotiswar Singh) की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अधिवक्ता फतेश कुमार साहू और विक्की कुमार तथा एक अन्य व्यक्ति जुनैद मोहम्मद जुनैद की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम में पिछले दिनों हुए आतंकवादी हमले (Pahalgam terrorist attack) की न्यायिक जांच की मांग की गई थी लेकिन पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और इसे सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने वाला बताया।


पहलगाम में पिछले महीने की 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “यह सही समय नहीं है। यह महत्वपूर्ण समय है, जब हर नागरिक ने हाथ मिलाया है। ऐसी कोई प्रार्थना न करें, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल गिरे‌। यह हमें स्वीकार्य नहीं है। मामले की संवेदनशीलता को देखें।”

रिटायर्ड जज कब से इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट हो गए?
जब वकील ने कहा कि यह हालिया आतंकी हमले से जुड़ा मामला है, तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “कृपया जिम्मेदार बनिए। इस तरह से आप ऐसे समय में सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ रहे हैं और कोई भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कब से इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट हो गए? हमने कब ऐसा हासिल किया? हम सिर्फ़ विवादों का फैसला करते हैं!” इसके बाद उस अधिवक्ता ने कहा, हम अपनी प्रार्थना को वापस ले लेंगे।

इस पर जस्टिस कांत ने कहा, “आपने पहले ही इसके लिए प्रार्थना की है और अब यह बाहर आ चुका है।” इसी बीच अधिवक्ता ने कहा, “मीलॉर्ड! कम से कम छात्रों के लिए कुछ तो हो.. कुछ सुरक्षा उपाय जो जम्मू-कश्मीर से बाहर पढ़ रहे हैं।” इस पर जज भड़क गए। कोर्ट ने कहा, क्या आप अपनी प्रार्थना के बारे में निश्चित हैं। पहले आप सेवानिवृत्त SC जज से जांच कराने के लिए कहते हैं। वे जांच नहीं कर सकते, फिर आप दिशा-निर्देश, मुआवज़ा, फिर प्रेस काउंसिल को निर्देश देने की मांग करते हैं। आप हमें रात में ये सब पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं और अब आप छात्रों के लिए बोल रहे हैं।”

सुरक्षा बलों का मनोबल न गिराएं
इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “यह वह महत्वपूर्ण समय है जब हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिला रहा है। सुरक्षा बलों का मनोबल न गिराएं। मामले की संवेदनशीलता को देखें।” इसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने फिर कहा कि जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ने वाले छात्रों के लिए सुरक्षा उपाय हो सकते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट जा सकते हैं। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हालांकि कहा, “इसे उच्च न्यायालय न जाने दें।” शीर्ष अदालत ने याचिकाओं को वापस लेने की अनुमति दी और छात्रों के मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं में से एक को व्यक्तिगत रूप से उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी।

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