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पेगासस मामले में अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

July 22, 2021


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका (Petition) दायर कर पेगासस जासूसी मामले (Pegasus case) की अदालत की निगरानी में एसआईटी (SIT) से जांच कराने (Investigation) की मांग (Demand) की गई है।


अधिवक्ता एम. एल. शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पेगासस कांड गहरी चिंता का विषय है और यह भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है। इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि व्यापक स्तर पर और बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना नैतिक रूप से गलत है। इस सॉफ्टवेयर के राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ बहुत बड़े हैं।
अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि इस घोटाले में राष्ट्रीय सुरक्षा और न्यायिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है, विपक्षी नेताओं, राजनीतिक व्यक्तियों, न्यायपालिका के न्यायाधीशों, यहां तक कि किसी भी व्यक्ति की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग करना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत एक गंभीर अपराध है।
याचिका में तर्क दिया गया कि यह एक सवाल है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर को बिना मंजूरी के खरीदना अनुच्छेद 266(3), 267(2) और 283(2) के विपरीत है और आईपीसी की धारा 408 और 409,120-बी को आकर्षित नहीं करती हैं?
शर्मा की जनहित याचिका में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले प्रतिवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि संसद की अनुमति के बिना राष्ट्र निधि से पेगासस की खरीद संविधान का गंभीर उल्लंघन है। याचिका में सवाल किया गया है कि क्या संविधान प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को उनके निहित राजनीतिक हितों के लिए भारत के नागरिकों की जासूसी करने की अनुमति देता है?
याचिका में आगे पूछा गया, क्या भारत के आम नागरिक, विपक्षी नेताओं, न्यायपालिका के न्यायाधीशों और अन्य लोगों की जासूसी करना अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के साथ ओएस अधिनियम, 1923 की धारा 3 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 65, 66 और 72 के तहत अपराध को आकर्षित नहीं करता।
दरअसल इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया पेगासस सॉफ्टवेयर, यूजर्स की जानकारी के बिना स्मार्टफोन को संक्रमित कर सकता है और लगभग सभी डेटा तक पहुंच सकता है।
एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी और परिवार के कुछ सदस्यों को पेगासस जासूसी के संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

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