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बांग्लादेश में भारतीय वर्क परमिट निलंबन की मांग, पूर्व राजनयिक ने इसे ‘मूर्खता’ करार दिया, खोली पोल

December 31, 2025

नई दिल्ली । बांग्लादेश (Bangladesh) के कट्टरपंथी छात्र संगठन ‘इंकलाब मंच’ ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को चार सूत्री अल्टीमेटम जारी किया है। संगठन के संस्थापक और प्रवक्ता शरीफ उस्मान बिन हादी (Sharif Usman bin Hadi) की हत्या के मामले में तेजी से कार्रवाई की मांग करते हुए संगठन ने बांग्लादेश में काम कर रहे सभी भारतीय नागरिकों (Indian citizens) के वर्क परमिट को तत्काल निलंबित करने की मांग की है। संगठन की मांग के बीच भारत के पूर्व राजनयिक ने बांग्लादेश की पोल खोल दी। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में कोई भारतीय मजदूर नहीं है बल्कि वे लोग हैं जो उलटा उनको ही काम देते हैं।

पूर्व भारतीय राजनयिक अनिल त्रिगुनायत ने इंकलाब मंच की मांगों और भारत में बांग्लादेशी उच्चायुक्त को तत्काल वापस बुलाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने बांग्लादेश को अपनी आंतरिक समस्याओं से निपटने की सलाह देते हुए कहा कि पड़ोसी देश भारत को पंचिंग बैग बनाने की कोशिश कर रहा है।

मीडिया से बातचीत में त्रिगुनायत ने इंकलाब मंच की मांगों को बड़ी मूर्खता करार दिया। मांगों में भारतीय नागरिकों के वर्क परमिट निलंबित करने और हादी की हत्या के बाद इंसाफ के लिए 24 दिन का अल्टीमेटम शामिल है। पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा- यह पूरी तरह से मूर्खता है… यह उस हाथ को काटने जैसा है जो आपको खिलाता है। बांग्लादेश में भारतीय मजदूर नहीं हैं, बल्कि निवेशक और फैक्ट्री मालिक हैं। वे बांग्लादेश के टेक्सटाइल मिलों के लिए सभी सामग्री प्रदान करते हैं, जो उनका मुख्य आधार है। अगर सरकार इस तरह की मांगों के आगे झुकती है, तो वह कुछ हासिल नहीं करेगी, बल्कि भारी नुकसान उठाएगी।


इंकलाब मंच की चार-सूत्री मांगें
रविवार को इंकिलाब मोन्चो के सदस्य सचिव अब्दुल्लाह अल जाबेर ने चार-सूत्री मांगें घोषित कीं, जिनमें शामिल हैं:
शरीफ उस्मान हादी की हत्या के जिम्मेदारों का मुकदमा 24 दिनों में पूरा करना।
बांग्लादेश में कार्यरत सभी भारतीय नागरिकों के वर्क परमिट निलंबित करना।
हादी की हत्या में शामिल संदिग्धों के भारत भागने के आरोपों पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा दायर करना (यदि भारत उन्हें सौंपने से इनकार करे)

अन्य आंतरिक मुद्दों पर कार्रवाई
इन मांगों में भारत-विरोधी बयानबाजी भी शामिल थी। हादी पिछले साल जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरों में से एक थे। वे 12 दिसंबर को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में रिक्शा में यात्रा करते समय गोली लगने से घायल हो गए थे। उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद ढाका में बड़े प्रदर्शन हुए, जिनमें से कुछ हिंसक हो गए। मीडिया हाउस और सांस्कृतिक संस्थानों पर हमले हुए, जिनकी बांग्लादेश और विदेशों से निंदा हुई।

बांग्लादेशी उच्चायुक्त की वापसी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत में अपने उच्चायुक्त एम रियाज हमीदुल्लाह को परामर्श के लिए ढाका तलब किया है। प्रोथोम आलो की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय के तत्काल समन पर वे सोमवार रात ढाका लौटे। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है। त्रिगुनायत ने इसे सामान्य राजनयिक प्रक्रिया बताया, लेकिन कहा- वे अपनी आंतरिक स्थिति से पहले निपटें। भारत को हर चीज के लिए दोषी ठहराने की बजाय अंदरूनी मुद्दों पर ध्यान दें। दुर्भाग्य से भारत हमारे पड़ोसियों, खासकर बांग्लादेश और पाकिस्तान के लिए पंचिंग बैग बन गया है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव
दोनों देशों के बीच संबंध अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर हमलों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं। बांग्लादेश में सुरक्षा, प्रेस स्वतंत्रता और राजनीतिक स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। अंतरिम सरकार पर अशांति रोकने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की रक्षा का दबाव बढ़ रहा है। भारत ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की है और बांग्लादेश से कार्रवाई की मांग की है।

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