
नई दिल्ली । निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) को 17 जुलाई को एक पत्र भेजा, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। इसमें सिफारिश की गई कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को काम करने की स्वतंत्रता और प्रशासनिक अधिकार दिए जाएं। साथ ही, एक अलग निर्वाचन विभाग (Election Department) का गठन करने की मांग भी शामिल थी। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार जल्द ही मुख्य निर्वाचन कार्यालय में लंबित नियुक्तियों को तेजी से भरेगी। वित्तीय मंजूरी में लगने वाले समय को कम करने की दिशा में भी कदम उठाया जाएगा।
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को लिखे पत्र में कई सुझाव दिए थे, जिनमें एक अलग निर्वाचन विभाग की स्थापना प्रमुख है। पत्र में कहा गया कि निर्वाचन विभाग के लिए अलग से बजट तय होना चाहिए। इससे सीईओ को पूरी वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता मिलेगी, जो निष्पक्ष और प्रभावी चुनाव कराने के लिए जरूरी है। आयोग का मानना है कि इससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं तेज होंगी और आगामी विधानसभा चुनावों में यह व्यवस्था प्रभावी साबित होगी।
निर्वाचन विभाग की मांग पर विचार
रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल सरकार फिलहाल स्वतंत्र निर्वाचन विभाग की मांग पर विचार कर रही है। एक निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने बताया कि कई अन्य राज्यों में पहले से ही अलग निर्वाचन विभाग मौजूद हैं, जो मंजूरी प्रक्रिया को तेज करते हैं। यह कदम राज्य में चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने में मदद कर सकता है। यह देखने वाली बात होगी की बंगाल सरकार की ओर से इस पर कब तक ऐक्शन लिया जाता है।
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