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लोकतंत्र को टेक्नोलॉजी पर नहीं छोड़ा जा सकता, EVM पर BJP-कांग्रेस आमने-सामने

October 30, 2024

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान के दौरान ईवीएम को लेकर की गई कांग्रेस की शिकायत पर जवाब दिया और लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया. चुनाव आयोग ने कांग्रेस को 1642 पन्नों का जवाब भेजा और कहा कि पार्टी की तरफ से लगाए गए आरोप बेबुनियादी थे, पार्टी को ऐसे गैर-जिम्मेदाराना आरोपों से बचना चाहिए. अब इसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बयान सामने आए.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि यह कैसे मुमकिन हो सकता है, जब मशीन पूरे दिन बंद रहती है और फिर कुछ दिनों बाद गिनती के लिए उसे दोबारा खोला जाता है, तो उसमें 99 प्रतिशत बैटरी लाइफ होती है? यह साइंस के किसी भी नियम को पूरी तरह से खारिज करता है कि एक मशीन, एक ईवीएम, पूरे दिन सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक या सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक इस्तेमाल में रह सकती है और एक बार इसकी बैटरी लाइफ 99 प्रतिशत होती है. मशीन को बंद कर दिया जाता है. इसे एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और फिर कुछ दिनों के बाद बाहर लाया जाता है और वोटों की गिनती की जाती है.


उन्होंने आगे कहा, “मैं यह समझने में नाकाम हूं कि ECI ईवीएम के इतना सपोर्ट में क्यों है. फेक्ट ये है कि अनुच्छेद 324 के तहत ICI पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है. उन्हें इससे क्या फर्क पड़ता है कि चुनाव ईवीएम से होगा या बैलेट पेपर से होगा? पूरी दुनिया में बिना किसी अपवाद के, यहां तक कि उन देशों में भी जहां भारत से पहले ही EVM का इनवेंशन किया गया था, हर कोई बैलेट पेपर की ओर लौट गया है क्योंकि लोकतंत्र इतना कीमती है कि इसे टेक्नोलॉजी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. चुनाव आयोग को न सिर्फ इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. बल्कि देश को बैलेट पेपर की ओर वापस ले जाने की पहल करें.”

वहीं बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आप देखिए, भारत का चुनाव आयोग एक और संवैधानिक संस्था है, जिसने कांग्रेस पार्टी को उसके गैर-जिम्मेदाराना और बेबुनियादी आरोपों के लिए फटकार लगाई है. कांग्रेस पार्टी जब भी कोई चुनाव जीतती है, चाहे वह उस समय कर्नाटक में हो या तेलंगाना में, ईवीएम और चुनाव आयोग को ठीक मानती है, जब वह चुनाव हार जाती है तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने लगती है. इसी तरह न्यायपालिका में भी अगर कोई केस जीत जाता है तो न्यायपालिका और लोकतंत्र ठीक है. वरना लोकतंत्र और न्यायपालिका खतरे में है. हरियाणा में, उन्होंने चुनाव के बाद यह आरोप लगाए हैं. महाराष्ट्र और झारखंड में वह चुनाव से पहले ही ईवीएम को गलत बता रहे हैं.

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