
भोपाल। मप्र में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस विकास योजनाओं पर है। लेकिन पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के दौरान की गई चुनावी घोषणाएं सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। इसकी वजह यह है कि पुरानी योजनाओं-परियोजनाओं को पूरा करने में प्रदेश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार के लिए नई घोषणाएं पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश में आर्थिक बोझ के कारण कई निगम-मंडल में वेतन के लाले पडऩे लगे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के दो साल के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका असर लोगों पर नहीं पडऩे दिया। जबकि विकास के कार्य प्रभावित हुए हैं। अब सरकार पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। ऐसे में अब सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां ज्यादा हैं, क्योंकि चुनाव में सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए। इनका बोझ सरकारी खजाने पर पडऩा है।
कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा
एक तरफ सरकार घोषणाएं करती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। इस साल का राज्य का मुख्य बजट 2.79 लाख करोड़ रुपए का है, जबकि कर्ज 2.87 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार हो चुका है। यह अलार्मिंग स्थिति है। हालांकि ऐसा इसलिए हुआ कि केंद्र सरकार ने ऑफ बजट कर्ज को भी मुख्य बजट में शामिल करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत अब भी 35 हजार करोड़ औसत ऑफ बजट कर्ज है, जो इसमें शामिल हो सकता है।
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