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भारत से नहीं मिला सहयोग, दूतावास बंद करने के बाद तालिबान का बयान

October 01, 2023

डेस्क: अफगानिस्तान की तालिबान शासन ने भारत के साथ आधिकारिक रूप से संबंध तोड़ लिए हैं. तालिबान के सत्ता कब्जाने के बाद दो साल से अफगान दूत भारत में काम कर रहे थे. भारत को भी इससे तकलीफ नहीं थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से दूतावास बंद करने की खबरें चल रही थी. अब तालिबान ने इन खबरों की पुष्टि की और कुछ दावों के साथ एक बयान जारी किए. भारत ने तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है और इसलिए दोनों देशों में कोई बातचीत भी नहीं है. जानें तालिबान ने इसके लिए क्या-क्या कारण गिनाए?


  1. तालिबान शासन की तरफ से जारी बयान में दावा किया गया है कि मेजबान देश से सहयोग नहीं मिल रहा और इसलिए उसे अपना दूतावास बंद करना पड़ा है. बयान में कहा गया है कि कुछ जरूरी समर्थन नहीं मिलने से वे अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे थे.
  2. तालिबान ने भारत में राजनयिक समर्थन की कमी और अफगानिस्तान और अपने नागरिकों की सेवा के लिए जरूरतों को पूरा करने में अपनी कमियों को स्वीकार किया है. दूतावास बंद करने के पीछे तालिबान ने यह भी एक वजह बताई है.
  3. बयान में कहा गया है कि राजनयिकों के लिए वीजा रिनुअल से लेकर सहयोग या अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से टीम में निराशा पैदा हुई और अंत में दूतावास बंद करने का फैसला लेना पड़ा.
  4. भारत में अफगान दूतावास का नेतृत्व राजदूत फरीद मामुंडजे कर रहे थे. मामुंडजे को पिछली अशरफ गनी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था और अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद भी वह अफगान दूत के रूप में काम कर रहे थे.
  5. अप्रैल-मई में तालिबान द्वारा मामुंडज़े की जगह मिशन का नेतृत्व करने के लिए नई नियुक्ति करने की कोशिश की थी. इसे भारत ने मानने से इनकार कर दिया था. बाद में दूतावास ने बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि नेतृत्व में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.
  6. तालिबान ने कादिर शाह को नया दूत बनाने की कोशिश की थी, जो 2020 से दूतावास में ट्रेड काउंसिल की अगुवाई कर रहे थे. अप्रैल में उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी में खुद के नए दूत होने का दावा किया था.
  7. भारत ने अभी तक तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में चुनी हुई सरकार को बहाल करने की वकालत करता रहा है. भारत का रुख स्पष्ट है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

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