सहारनपुर। व्यक्ति को अगर किसी प्रकार का न्याय चाहिए तो उसे कोर्ट के दरबाजे तक जाना ही पड़ता है। चाहे किसी भी प्रकार का मौसम हो या फिर किसी प्रकार की कमी। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur in Uttar Pradesh) जिले का है, जहां प्रवीण कुमार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें सिर्फ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचना है। जिसकी दूरी 200 किलोमीटर है।
इस संबंध में प्रवीण का कहना कि वह एक हिंदूवादी नेता है। उसने पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर किताबें लिखी हैं। हिंदू राष्ट्रवादी होने के बावजूद उसका नाम धर्म परिवर्तन वाली लिस्ट में आने के बाद उसका सामाजिक बहिष्कार हो गया है। उसे लगातार धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि देश को पता चले कि मैं किस दौर से गुजर रहा हूं।
बता दें कि मंगलवार को प्रवीण कुमार ने अपने ‘विरोध मार्च’ की शुरुआत की। बुधवार शाम तक वह 32 किमी चलकर मुजफ्फरनगर पहुंच गए थे। 32 साल के प्रवीण को उम्मीद है कि वह 11 दिनों में अपनी यात्रा पूरी करेंगे। एटीएस ने अब्दुल समद की तलाश में 23 जून को प्रवीण कुमार को पकड़ा। कथित धर्मांतरितों की लीक सूची में प्रवीण कुमार की तस्वीर और उस पर जानकारी के साथ एक प्रमाण पत्र था। इस प्रमाणपत्र में लिखा था कि प्रवीण कुमार ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और अब वह अब्दुल समद हैं। जिसे साबित करने के लिए प्रवीण को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करनी है।
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