
नई दिल्ली । मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court)ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय(Important Decisions) देते हुए कहा कि यदि किसी वाहन का चालक शराब के नशे (Alcohol intoxication)में हो और उससे कोई सड़क दुर्घटना(Road Accident) हो जाए, तब भी बीमा कंपनी मृतक के परिवार को मुआवजा देना होगा। हालांकि, बीमा कंपनी बाद में यह राशि वाहन मालिक से वसूल सकती है।
यह फैसला जस्टिस एम. धंडापानी ने भुवनेश्वरी बनाम एम/एस बीवीएम स्टोरेज सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड मामले में सुनाया। उन्होंने केरल हाईकोर्ट के मुहम्मद राशिद बनाम गिरिवासन मामले का हवाला देते हुए कहा कि बीमा कंपनी को पहले मुआवजा जमा करना होगा और बाद में इसे वाहन मालिक से कानूनी प्रक्रिया के तहत वसूला जा सकता है।
क्या है मामला?
बार एंड बेंच में छपि रिपोर्ट के अनुसार, मामला 30 दिसंबर 2017 का है, जब चेन्नई के तिरुनीरमलाई मेन रोड पर राजसेकरन नामक व्यक्ति सड़क किनारे पैदल चल रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार वैन ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक के परिवार ने ₹65 लाख मुआवजे की मांग की थी, लेकिन मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) ने ₹27.65 लाख का मुआवजा तय किया और बीमा कंपनी को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया, क्योंकि दुर्घटना के समय वाहन चालक नशे में था।
हाईकोर्ट का फैसला
राजसेकरन के परिवार ने ट्रिब्यूनल के इस फैसले को चुनौती दी और कहा कि मृतक की मासिक आय का गलत आकलन किया गया है। हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए मुआवजा बढ़ाकर ₹30.25 लाख कर दिया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बीमा कंपनी को छह हफ्तों के भीतर मुआवजा राशि जमा करनी होगी, लेकिन कंपनी बाद में यह रकम वाहन मालिक से वसूल सकती है।
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