
देहरादून। देश को पहली बार महिला पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में चैंपियन बनाने वालीं दिलराज कौर (Dilraj Kaur) इन दिनों अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़कों पर नमकीन और बिस्किट बेचने को मजबूर(Forced to sell snacks and biscuits on the streets) हैं. वे कहती है कि “सोचा था कि जब देश का नाम रोशन होगा तो शायद मेरे घर मे भी थोड़ा उजाला जरूर होगा, पर शायद ऐसा नसीब नहीं था. जब देश को जरूरत थी तब मैं थी, पर अब मेरी जरूरत पर कोई नहीं. सिर्फ इस अंधेरे के…”
दिलराज कौर (Dilraj Kaur) देश की पहली महिला पैरा शूटिंग चैंपियन(Women’s Para Shooting Champion) हैं, जिन्होंने देश को न जाने कितने मेडल दिलवाए, मगर आज देश ने ही उनको भुला दिया. जिसने महिला पैरा शूटिंग चैंपियन (Women’s Para Shooting Champion) देश के लिए गोल्ड मेडल जीता(won gold medal), अब वही महिला भिखारियों की तरह जीने को मजबूर है. दिलराज कौर इन दिनों देहरादून में गांधी पार्क के पास नमकीन और बिस्किट बेचकर अपने परिवार का पेट पाल रही हैं.
देहरादून के गोविंदगढ़ की रहने वालीं दिलराज कौर अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक शूटर हैं. उन्होंने दो दर्जन से ज्यादा गोल्ड मेडल जीते हैं. लेकिन अब दिलराज किराए की मकान में अपनी माता गुरबीत कौर के साथ रहती हैं और आर्थिक तंगी के कारण गांधी पार्क के पास नमकीन-बिस्किट बेच रहीं हैं.
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