
जबलपुर: अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) की फिल्म ‘पुष्पा’ (Pushpa Movie) की चर्चा सिनेमाघरों से बाहर निकलकर अब हाईकोर्ट में पहुंच गई हैं. एमपी हाईकोर्ट (MP High court) ने अवैध जंगलों की कटाई को लेकर फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने फिल्म पुष्पा में दिखाए गए सिंडिकेट का उदाहरण देते हुए सरकार को जमकर लताड़ लगाई है. हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए फिल्म में दिखाए सिंडिकेट की तुलना मध्यप्रदेश के शासन से की है.
हाईकोर्ट ने कहा कि पुष्पा फिल्म में जिस तरह से तस्कर, विधायक और अफसर सिंडिकेट चलाते हैं वैसी ही स्थिति मध्य प्रदेश में भी है. हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने 53 प्रजातियों के पेड़ों की कटाई और परिवहन के लिए प्रदान की गई छूट को निरस्त कर दिया है. जंगलों की अवैध कटाई से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश भी दिए हैं.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि साल 2015 में जारी विवादित अधिसूचना और साल 2017 में किए गए संशोधन वन अधिनियम, 1927 की धारा 41(1), (2) और (3) के प्रावधानों के विपरीत हैं. इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 48-ए का उल्लंघन करते हैं. लार्जर बेंच ने विवादित अधिसूचना और उसमें किए गए संशोधन को निरस्त कर दिया. साथ ही अपने आदेश में कहा है कि ट्रांजिट पास नियम, 2000 छूट प्राप्त सभी वृक्ष की प्रजातियों पर तत्काल प्रभाव से लागू की जाए.
हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने प्रदेश सरकार के 24 सितंबर 2019 के नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया. सरकार के इस नोटिफिकेशन में 53 प्रकार के पेड़ों की प्रजातियां की कटाई और परिवहन को अनुमति के दायरे से बाहर किया गया था. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह फिल्म पुष्पा में तस्करों और व्यापारियों का सिंडिकेट इतना दबदबा बनाने लगता है कि पुलिस, वन विभाग और अंततः विधायकों तक शासन का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रह जाता है. यह दर्शाता है कि कैसे अवैध लकड़ी का व्यापार करने वाले राक्षस-माफिया घने जंगलों में घुस सकते हैं और राज्य मशीनरी के साथ मिली भगत करके जंगल की प्राकृतिक संपदा को लूट सकते हैं.
कार्यपालिका वन उपज विक्रेताओं के ऐसे सिंडिकेट के प्रभाव और दबदबे के आगे झुक जाती है, मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति है. हाईकोर्ट ने गोदामों में रखी लकड़ियों का व्यापार रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से जांच किए जाने के सरकार को निर्देश दिए हैं. वहीं कोर्ट के आदेश को शासन के सभी 52 विभागों की वेबसाइट पर आदेश का प्रचार-प्रसार कराए जाने के भी निर्देश दिए हैं.
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