
नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा (Resignation with immediate effect) दे दिया और यह स्वीकार भी कर लिया गया है। जगदीप धनखड़ का विदाई भाषण भी नहीं हुआ और इस मामले पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी ने कई अटकलों को जन्म दे दिया है, साथ ही नए उपराष्ट्रपति के संभावित नामों की चर्चा भी जोर-शोर से शुरू हो गई है।
कहा जा रहा है कि धनखड़ विपक्ष के प्रति हाल के दिनों में अचानक नरम हो गए थे। जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग का प्रस्ताव उन्होंने जिस तेजी से स्वीकार किया, उसने सत्ता पक्ष को चौंका दिया। बताया जाता है कि बीजेपी नेतृत्व को इसकी भनक तक नहीं थी और पार्टी के कई नेता इससे असहज हो गए थे।
सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति से भी नाराज थे। यही बात उनके फैसले की एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया और पत्र राष्ट्रपति को भेज दिया। अगले दिन उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के इस्तीफे पर सोशल मीडिया पर लिखा कि “जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”
वहीं, विपक्ष इस मामले पर लगातार सवाल उठा रहा है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “पिछले 15 घंटे का घटनाक्रम बहुत आश्चर्यजनक है। भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया और आनन-फानन में इसे स्वीकार भी कर लिया गया। अगर वे इसका उल्लेख करें कि परिस्थितियां क्या थीं, तो जो सच्चाई है, वह 146 करोड़ भारतीय जान पाएंगे।”
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