
जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में हाल ही में उजागर हुए खून की कथित खरीद-फरोख्त प्रकरण के बाद प्रशासन ने बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. शिशिर चनपुरिया को उनके पद से हटा दिया है और ब्लड बैंक का नया प्रभार डॉ. भगवानदास को सौंपा गया है। इस कदम के साथ ही कॉलेज में सख्ती और पारदर्शिता की मांग तेज हो गई है। प्रबंधन ने इसे प्रशासनिक व्यवस्था के मद्देनजर जरूरी बदलाव बताया है, लेकिन कॉलेज परिसर तथा मेडिकल जगत में इस फैसले को उस प्रकरण से जोड़कर देखा जा रहा है जिसने पिछले कुछ दिनों से बवाल खड़ा कर रखा था।
मामला कैसे हुआ उजागर
कुछ दिनों पहले कॉलेज के अंदर ब्लड बैंक से जुड़ी अनुचित सूचनाएँ और खून की खरीद-फरोख्त के आरोप की खबरें उठीं। खबरों व आंतरिक शिकायतों के आधार पर डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने तत्काल एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। बैठक में पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष को पूरे मामले की गहन पड़ताल और रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। इसी के बाद प्रशासन ने तात्कालिक स्तर पर व्यवस्थागत बदलाव का निर्णय लिया और डॉ. चनपुरिया को ब्लड बैंक से हटाकर कैंसर अस्पताल में तैनात कर दिया गया तथा उन्हें डीडीओ का अतिरिक्त चार्ज दे दिया गया। प्रशासनिक आदेश में साफ लिखा गया है कि यह कदम कार्यक्षमता, रोटेशन और प्रशासनिक सुधार के लिहाज से उठाया गया है। हालांकि कॉलेज परिसर में कर्मचारियों व कुछ सूत्रों का कहना है कि यह कदम हालिया घोटाले की आंतरिक विवेचना के दबाव में उठाया गया प्रतीत होता है।
डॉ. चनपुरिया का 5 सालों का सफर
सूचना के अनुसार, डॉ. चनपुरिया पिछले लगभग पाँच वर्षों से ब्लड बैंक के प्रभारी थे और उनका लंबा कार्यकाल रहा है। इतने लंबे समय तक किसी भी विभाग का प्रभार संभालने के बाद अचानक हटाने की खबर ने ब्लड बैंक स्टाफ और विद्यार्थियों में चर्चा तेज कर दी है। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि ब्लड बैंक में बदलाव की इससे पहले भी इच्छाएँ रहती थीं, जबकि अन्य का मानना है कि अचानक हटाने से संस्थागत स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
सुरक्षा, सबसे बड़ी चिंता
इस प्रकरण ने ब्लड बैंक की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठाए हैं। ब्लड बैंक का काम केवल रक्त संग्रह और भंडारण ही नहीं, बल्कि मरीजों की जान से जुड़ा हुआ है। यदि किसी प्रकार का अनियमित व्यापार या प्रक्रिया में कमी सामने आती है तो उसका सीधा असर मरीजों पर पड़ सकता है। नागरिक संगठनों और स्वास्थ्यवादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच बेहद आवश्यक है।
कर्मचारियों व चिकित्सकों की राय
कॉलिज के कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि प्रशासन ने समय पर कार्रवाई की है, पर साथ ही कहा कि आंतरिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि अफवाहों और अटकलों का अंत हो। वहीं कुछ जूनियर स्टाफ का कहना है कि अचानक परिवर्तन से ब्लड बैंक के क्रियाकलापों में अस्थिरता आ सकती है।
प्रशासन का रुख, पारदर्शिता का आश्वासन
कॉलेज प्रबंधन ने आधिकारिक बयान में कहा है कि यह कदम केवल प्रशासनिक मजबूरी व कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। साथ ही प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष द्वारा कराई जा रही जांच निष्पक्ष तरीके से चल रही है।
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