
गुना। यूं तो गुना जिला चार साल पहले ओडीएफ घोषित हो चुका है, लेकिन आज भी 16 हजार परिवार ऐसे हैं, जो लोटा लेकर खुले में शौच को जा रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे जिम्मेदारों के अपने तर्क हैं कि घरों में शौचालय बने हैं, लेकिन लोगों को खुले में शौच पसंद है। अगर जमीनी हकीकत देखें, तो जिले की 421 ग्राम पंचायतों में 1.65 लाख मकानों में शौचालयों का निर्माण होना था, जिसमें से 1.49 लाख घरों में बने हैं। लेकिन 15 हजार घर खुले में शौच से मुक्ति की तस्वीर धुंधली कर रहे हैं। क्योंकि, इनमें शौचालय नहीं बन सके हैं। गुना जिला वर्ष 2018 में ओडीएफ घोषित हो चुका है, लेकिन उसके बाद भी हर पंचायत में कोई न कोई परिवार लोटा लेकर खुले में शौच को जाते नजर आ जाता है।उधर, जिला पंचायत के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो 1.65 लाख घरों में शौचालयों का निर्माण होना था, लेकिन 1.49 लाख घरों में ही शौचालय बन सके हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने मप्र के स्थापना दिवस पर तीन दिन तक ग्रामीणों के बीच जाकर खुले में शौच न करने को लेकर जागरूकता अभियान चलाया था, लेकिन ग्रामीणों का कहना था कि सरपंच स्वच्छता परिसरों के ताले खोल दें, तो वह खुले में शौच करने के लिए नहीं जाएंगे।
दो वर्ष से यह शौचालय अधूरा पड़ा
ग्राम पंचायत बरखेड़ा गिर्द के निवासी किशनलाल अहिरवार का कहना है कि उनके घर में शौचालय नहीं है। उन्होंने कई बार आवेदन भी दिए हैं, लेकिन 10 वर्ष के बाद भी घर में शौचालय नहीं बना है, ऐसी स्थिति में महिलाएं और बच्चे सभी खुले में शौच के लिए जाते हैं। जिले की कुंभराज तहसील के ग्राम कलमोदिया में दो वर्ष पहले शौचालय का अधूरा निर्माण कर सरपंच ने उसकी पूरी राशि निकाल ली। ग्रामीणों का कहना है कि दो वर्ष से यह शौचालय अधूरा पड़ा हुआ है, जिसका दोबारा निर्माण नहीं किया गया है। साथ ही अधूरे शौचालय की वजह से पूरा परिवार खुले में शौच जाने को मजबूर है।
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