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झटका: न करें Petrol-Diesel की कीमत में कमी की उम्मीद, तीन रुपये तक हो सकता है महंगा

नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने आसमान छुआ हुआ है। आम लोग और विपक्ष इसका विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उच्च टैक्स की वजह से देश में तेल की कीमत अधिक है। ऐसे में अब आम लोगों को एक और झटका लग सकता है। कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड सोमवार को 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया। यह ग्राहकों के लिए चिंता की बात है क्योंकि अगर कच्चा तेल और महंगा होता है तो आने वाले दिनों में तेल की कीमत तीन रुपये तक बढ़ सकती है।

आसमान छू रही है कच्चे तेल की कीमत
इस सप्ताह कच्चा तेल 75.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। जबकि एक महीने पहले यह 69.03 डॉलर पर था। इस तरह इसमें 9.1 फीसदी का इजाफा हुआ है। दरअसल कोरोना के नए मामलों में आ रही गिरावट और टीकाकरण की बढ़ती रफ्तार से आर्थिक गतिविधियां दोबारा खुली हैं। ऐसे में तेल की मांग भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे कच्चे तेल की कीमत आसमान छू रही है।


आज इतनी है पेट्रोल-डीजल की कीमत
सरकारी तेल कंपनियों की ओर से आज पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पिछले सप्ताह पेट्रोल की कीमत 13 से 15 पैसे, तो वहीं डीजल की कीमत 14-15 पैसे घटी थी। लेकिन अब भी प्रमुख बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से ऊपर बनी हुई है।

आज दिल्ली में पेट्रोल का दाम 101.19 रुपये जबकि डीजल का दाम 88.62 रुपये प्रति लीटर है। मुंबई में पेट्रोल की कीमत 107.26 रुपये व डीजल की कीमत 96.19 रुपये प्रति लीटर है। कोलकाता में पेट्रोल का दाम 101.62 रुपये जबकि डीजल का दाम 91.71 रुपये लीटर है। वहीं चेन्नई में भी पेट्रोल 98.96 रुपये लीटर है तो डीजल 93.26 रुपये लीटर है।

जीएसटी के दायरे में नहीं आए पेट्रोल-डीजल
मालूम हो कि पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को हाल ही में निराशा हाथ लगी थी। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद साफ हो गया कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा।

45वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी। एक जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ था तो केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने राजस्व के मद्देनजर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा था। इस पर केंद्र सरकार व राज्य सरकारें अपने-अपने यहां अलग-अलग कर लगाती हैं और उससे आने वाला पैसा सरकारी खजाने में जाता है।

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