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‘डॉक्टर्स को भी होती है डॉक्टर की जरूरत’, मेंटल हेल्थ सपोर्ट के लिए हेल्पलाइन जारी

August 22, 2025

नई दिल्ली: डॉक्टर (Doctor) को धरती पर भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन असल में वो भी इंसान ही होते हैं. जो दर्द-तकलीन महसूस करते हैं. कई डॉक्टर्स को 12-12 घंटों की शिफ्ट करनी पड़ती है. हर वक्त नींद छोड़कर कोई इमरजेंसी (Emergency) आ जाने पर अस्पताल (Hospital) की तरफ दौड़ना पड़ता है. कई बार पेशेंट और परिवार के दुख का असर उनके ऊपर भी होता है. घर जाकर वो भी कई-कई घंटों तक उनकी परेशानियों के बारे में सोचते रहते हैं. इससे सीधे उनकी मेंटल हेल्थ (Mental Health) भी प्रभारित होती है. इसी के चलते अब डॉक्टर्स की हेल्थ का भी ख्याल रखने की तरफ ध्यान दिया गया है.

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने देशभर के डॉक्टरों, रेजिडेंट्स और मेडिकल छात्रों के लिए एक मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन शुरू की है. इस पहल में दो डॉक्टर शामिल हैं. नागपुर के डॉ. साजल बंसल (GMCH से) और डॉ. अक्षय डोंगारदिवे (IGGMCH से) — जिन्होंने मिलकर इस हेल्पलाइन को शुरू करने में अहम भूमिका निभाई है.

डॉ. बंसल ने बताया कि यह हेल्पलाइन देश के जाने-माने मनोचिकित्सकों (psychiatrists) के मोबाइल नंबरों के रूप में है, आप फोन करेंगे और जाने-माने साइकैटरिस्ट से आप बात कर पाएंगे. जो अलग-अलग समय स्लॉट में दिन के 20 घंटे और पूरे हफ्ते उपलब्ध रहेंगे.


उन्होंने कहा, हाल ही में मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों के आत्महत्या की कई खबरें सामने आई हैं. अक्सर मेडिकल ग्रुप को सरकार की हेल्पलाइन या योजनाओं की जानकारी नहीं होती. अगर जानकारी होती भी है, तो स्टूडेंट अक्सर गोपनीयता (confidentiality) के उल्लंघन के डर से उनका इस्तेमाल करने से हिचकिचाते हैं. इसलिए इस हेल्पलाइन को शुरू किया गया है. डॉक्टर इसीलिए अपना खुद का नंबर शेयर कर रहे हैं जिससे जो भी डॉक्टर्स मेंटल हेल्थ के लिए उनसे संपर्क करें उनकी पूरी प्राइवेसी बनी रहे.

देश की बढ़ती जनसंख्या के चलते अस्पतालों में लोगों की तादाद बढ़ रही है. छोटे से छोटे क्लिनिक और बड़े से बड़े अस्पतालों में आपको अक्सर लोगों की भीड़ दिख जाएगी. इसकी वजह से मेडिकल कॉलेजों के छात्र और रेजिडेंट डॉक्टर लगातार तनाव और बर्नआउट से जूझ रहे हैं. वो लंबी-लंबी शिफ्ट करते हैं और इस शेड्यूल के बीच उनको आराम का समय काफी कम मिल पाता है. सरकार की समय-समय पर की गई पहलों और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 (Mental Healthcare Act, 2017) के बावजूद, कई लोग अब भी आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं.

पिछले कुछ हफ्तों में इसकी गंभीरता साफ रूप से सामने आई है. AIIMS नागपुर के एक MBBS छात्र ने आत्महत्या की, गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक और छात्र ने आत्महत्या की कोशिश की. जुलाई में, मुंबई के जेजे अस्पताल के एक डॉक्टर ने अटल सेतु ब्रिज से कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की. ऐसी घटनाएंम देशभर में मेडिकल समुदाय की मेंटल हेल्थ की हालत को लेकर बड़ा इशारा कर रही हैं.

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