
नई दिल्ली । अमेरिका (America) के न्याय विभाग (Justice Department) द्वारा जारी जेफरी एपस्टीन जांच (Jeffrey Epstein investigation) से जुड़े नए दस्तावेजों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) को लेकर एक गंभीर लेकिन अप्रमाणित आरोप सामने आया है. इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि दशकों पहले ट्रंप पर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था. हालांकि न्याय विभाग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें “असत्य और सनसनीखेज” करार दिया है.
मंगलवार को सार्वजनिक किए गए ये रिकॉर्ड एप्सटीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट के तहत जारी किए गए हैं, जिसके तहत एपस्टीन से जुड़े संघीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करना अनिवार्य है. न्याय विभाग ने साफ किया कि इन फाइल्स में दर्ज आरोपों की कोई पुष्टि नहीं हुई है और इन्हें तथ्यात्मक सत्य के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
न्याय विभाग ने असामान्य रूप से सार्वजनिक बयान जारी करते हुए कहा कि इनमें से कुछ आरोप 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एफबीआई को भेजे गए थे और उनमें कोई विश्वसनीय आधार नहीं था. विभाग ने कहा, “स्पष्ट कर देना जरूरी है कि ये दावे झूठे और निराधार हैं. अगर इनमें जरा भी सच्चाई होती, तो इन्हें पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ इस्तेमाल किया जा चुका होता.”
ड्राइवर ने सुनी थी लड़की के “शोषण” की बात
जारी दस्तावेजों में जांच एजेंसियों को भेजी गई कच्ची जानकारियां शामिल हैं. इनमें एक कथित पीड़िता का आरोप, जिसमें उसने ट्रंप और एपस्टीन दोनों पर बलात्कार का दावा किया, और एक लिमोजिन ड्राइवर का बयान भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर ट्रंप को एपस्टीन द्वारा एक लड़की के “शोषण” की बात करते सुना था. हालांकि दस्तावेजों से यह स्पष्ट नहीं होता कि एफबीआई ने इन जानकारियों पर आगे कोई कार्रवाई की या नहीं. बताया गया है कि आरोप लगाने वाली महिला की बाद में सिर में गोली लगने से मौत हो गई थी.
न्याय विभाग ने जोर देकर कहा कि फाइल्स में कहीं भी यह संकेत नहीं है कि ट्रंप को किसी आपराधिक मामले में संदिग्ध माना गया हो या उनके खिलाफ औपचारिक जांच की गई हो. यह जरूर माना गया कि ट्रंप और एपस्टीन के बीच 2000 के दशक के मध्य तक सामाजिक संपर्क रहे थे, लेकिन किसी अपराध से उनका सीधा संबंध नहीं बताया गया.
अब तक 30 हजार दस्तावेज जारी किए गए
इन दस्तावेज़ों में शामिल एक 2020 के ईमेल में यह जिक्र है कि ट्रंप ने एपस्टीन के निजी विमान में पहले बताई गई संख्या से अधिक बार यात्रा की थी. हालांकि न्याय विभाग ने दोहराया कि केवल आरोप का दस्तावेजों में होना, उसके सच होने का प्रमाण नहीं है.
करीब 30,000 दस्तावेज इस चरण में जारी किए गए हैं, जिनमें भारी कटौती की गई है ताकि पीड़ितों की पहचान सुरक्षित रखी जा सके. आने वाले हफ्तों में और दस्तावेज जारी होने की संभावना है. न्याय विभाग का कहना है कि पारदर्शिता का मतलब यह नहीं कि हर आरोप को सत्य मान लिया जाए.
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