
नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शुक्रवार को अपनी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) के आकलन को नकारते हुए कहा कि ईरान (Iran) परमाणु बम (atomic bomb) बनाने के बेहद करीब है. ट्रंप ने कहा कि गैबार्ड का यह दावा गलत है कि ईरान या इजरायल के परमाणु हथियार बनाने का कोई सबूत नहीं है. तुलसी गबार्ड का कहना था कि ईरान कोई परमाणु हथियार नहीं बना रहा है, और बना भी रहा था तो उसे 2003 में बंद कर दिया था.
एक पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि उनकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी कह रही है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है, तो उन्होंने इंटेलिजेंस कम्युनिटी को गलत बताया और पूछा कि ऐसा किसने कहा. इस पर जब पत्रकार ने बताया कि उनकी इंटेलिजेंस चीफ तुलसी गबार्ड का ऐसा कहना है, तो ट्रंप ने कहा, “वह गलत हैं.”
ट्रंप की इंटेलिजेंस चीफ तुलसी गबार्ड ने कांग्रेस के सामने गवाही देते हुए पहले स्पष्ट रूप से कहा था कि ईरान कोई परमाणु हथियार नहीं बना रहा और उसके सर्वोच्च नेता ने भी 2003 में निलंबित किए गए परमाणु हथियार कार्यक्रम को दोबारा शुरू नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान के यूरेनियम संवर्धन पर करीबी नजर रख रहा है, जो अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है.
‘गैबार्ड ने क्या कहा मुझे फर्क नहीं पड़ता’, ट्रंप ने पहले दिया बयान
राष्ट्रपति ट्रंप ने इन बयानों को खारिज करते हुए पहले कहा था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता उन्होंने (गैबार्ड) ने क्या कहा. मेरी नजर में ईरान परमाणु बम के बहुत करीब है.” इस बयान से ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के रुख के करीब रखा, जो ईरान को एक तत्काल परमाणु खतरा मानते हैं.
तुलसी गबार्ड ने अपने बयानों पर क्या कहा?
तुलसी गबार्ड ने इस विरोधाभास पर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. उन्होंने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप वही बात कह रहे हैं जो मैंने कही थी. हम एक ही पन्ने पर हैं.” उनके कार्यालय ने भी इसी बयान को दोहराया.
गैबार्ड ने मार्च में दिए अपने बयान में कहा था कि खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है, लेकिन उसका यूरेनियम भंडार उस स्तर पर है जो आमतौर पर बिना परमाणु हथियारों वाले देशों में नहीं देखा जाता.
ट्रंप बोले- यूरोप इसमें कुछ नहीं कर पाएगा
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने खुफिया एजेंसियों की राय के खिलाफ बयान दिया है. अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ खड़े होकर अमेरिकी एजेंसियों की राय को नजरअंदाज किया था. इस बीच ट्रंप ने यह भी कहा कि यूरोप इस संघर्ष में ज्यादा मदद नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा, “यूरोप इसमें ज्यादा मदद नहीं कर पाएगा.”
दूसरी तरफ, यूरोपीय विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को जिनेवा में ईरान से अपील की कि वह अमेरिका से परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत शुरू करे.स ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच अमेरिका के आंतरिक राजनीतिक मतभेद और कूटनीतिक रुख वैश्विक स्तर पर असर डाल रहे हैं, जो आने वाले दिनों में और गहराने की आशंका है.
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