ओस्लो । डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump) कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने 7 युद्ध रुकवाए हैं और इसके लिए तो उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) मिलना चाहिए। उनके इन बयानों से अनुमान लगाया जाता है कि वे नोबेल पुरस्कार के लिए आतुर दिख रहे हैं, लेकिन नोबेल कमेटी पर इसका कोई असर नहीं लगता। नॉर्वे की नोबेल कमेटी का कहना है कि हम पर किसी तरह का दबाव नहीं चलता है। हम पूरी स्वायत्तता और स्वतंत्रता के साथ फैसले लेते हैं। जनवरी में अमेरिका की सत्ता फिर से संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। वह बराक ओबामा का भी जिक्र कर चुके हैं कि उन्हें तो यह सम्मान बहुत जल्दी मिल गया था।
इस साल के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान 10 अक्तूबर को होने वाला है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनके नाम की सिफारिश बेंजामिन नेतन्याहू और अजरबैजान के इलहाम अलियेव ने भी की है। इसके अलावा पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भी कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को इस बार यह पुरस्कार मिलने की संभावना बहुत कम है।
31 जनवरी ही थी नोबेल पुरस्कार के नामांकन की आखिरी तारीख
इसकी वजह यह है कि नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी ही थी, जबकि उससे ठीक 11 दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभाला था। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर विचार भी होगा तो वह अगले साल होगा। इस बार उनके नाम के ऐलान की कोई संभावना नहीं है। जुलाई में ही नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम आगे बढ़ाया है। इसके लिए उन्होंने नॉर्वे की नोबेल समिति को लेटर भी भेजा था।
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