
नई दिल्ली । टैरिफ वॉर (Tariff War)की वजह से भारत (India )और अमेरिका(America) के रिश्ते बेहद जटिल हो गए हैं। वहीं भारत ने अमेरिका की शर्तों(US conditions) पर समझौता करने की जगह इस टैरिफ का तोड़ निकालने का रास्ता चुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की यात्रा पर रवाना होने से पहले ही बता दिया है कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से इतर वह शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते परिपेक्ष्य के बीच उनकी यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है।
बता दें कि चीन के तियाजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ही जापान के लिए रवाना हो गये हैं। इसके बाद वह चीन पहुंचेंगे। बीते सात साल में पहली बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया कि भारत एससीओ सदस्यों के साथ मिलकर चुनौतियों से निपटने और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। पीए मोदी ने कहा, एससीओ सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग से भी मुलाकात होगी। प्रधानमंत्री मोदी और रूसी-चीनी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें हैं।
संबंधों को सुधारने में जुटे भारत और चीन
गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन केबीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। हालांकि अमेरिका से व्यापार चुनौती के बीच दोनों ही देश संबंधों को सुधारने में जुटे हैं। इससे पहले ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान 23 अक्टूबर 2024 को पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। इसके बाद ही पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट हो पयाा था। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सीधी विमानसेवा, चीनी पर्यटकों के लिए भारतीय वीजा और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर बात बनी थी।
बता दें कि 19 अग्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें शी जिनपिंग की तरफ से आमंत्रण पत्र दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, जापान से हम चीन की यात्रा करेंगे। भारत एससीओ का एक सक्रिय और कन्स्ट्रक्टिव सदस्य है। भारत जब एससीओ का अध्यक्ष था तब इनवेशन, हेल्थ और सांस्कृतिक विकास पर बहुत काम किया गया। उन्होंने कहा, जापान और चीन की यात्रा हमारे राष्ट्रीय हितों को देखते हुए अहम है। इससे वैश्विक शांति और क्षेत्रीय सहयोग का रास्ता प्रशस्त होगा। इसके अलावा सुरक्षा और सतत पोषणीय विकास के रास्ते में एक अहम कदम होगा।
बता दें कि भारत 2017 में एससीओ का सद्य बना था। वहीं 2022-23 में भारत को संगठन की अध्यक्षता मिली थी। भारत और चीन दोनों ही सीमा व्यापार को शुररू करने और चीनी नागरिकों को भारत का वीजा देने पर सहमत हो गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि व्यापार के दृष्टि से आगे भी भारत और चीन के बीच कई समझौते हो सकते हैं जो कि अमेरिका के टैरिफ का जवाब होंगे। वहीं प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की मुलाकात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए सीधा संदेश हैं कि राष्ट्र हित में भारत रूस से व्यापार बंद नहीं करने वाला है।
कहीं बौखला ना जाएं डोनाल्ड ट्रंप!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ ऐसा व्यापार युद्ध छेड़ चुके हैं जिसका विरोध दुनिया के कई देश कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अगर भारत ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ अन्य देशों से गठजोड़ करता है तो यह अमेरिका के लिए ही नुकसानदेह साबित होगा। वहीं भारत के इन कदमों से डोनाल्ड ट्रंप बौखलाकर कुछ प्रतिबंधों का भी ऐलान कर सकते हैं। उन्होंने पहले भी कहा है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है तो अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
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