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नाटो की रक्षा प्रतिबद्धता पर डोनाल्ड ट्रंप के टालमटोल भरे जवाब से सहयोगी देशों की चिंता बढ़ी

June 25, 2025

नई दिल्ली. नाटो शिखर सम्मेलन (NATO Summit) नीदरलैंड (Netherlands) के द हेग (The Hague) शहर में शुरू हो चुका है. दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) हेग पहुंच गए हैं. सम्मेलन में शामिल होने के पहले ट्रंप ने जो बयान दिया है उससे सहयोगी देशों की चिंता बढ़ा दी है.



डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सम्मेलन में शामिल होने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘अमेरिका सामूहिक रक्षा की गारंटी को मानेगा या नहीं यह आपकी परिभाषा पर निर्भर करता है. NATO के अनुच्छेद 5 के कई परिभाषाएं हैं. आपको पता है, है ना? हालांकि, मैं उनका दोस्त बनने के लिए प्रतिबद्ध हूं’.

ट्रंप की ओर से आए इस बयान ने यूरोपीय और अन्य सहयोगियों की चिंता को बढ़ा दी है कि अमेरिका सैन्य गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेगा या नहीं. वहीं, NATO के प्रमुख मार्क रुटे ने आस्वस्त किया है कि अमेरिका की अपने सहयोगी देशों के लिए प्रतिबद्धता को लेकर उन्हें कोई संदेह नहीं है.

नाटो सम्मेलन में शामिल होने से पहले डोनाल्ड ट्रंप मीडिया से बातचीत करते हुए (फोटो क्रेडिट – एसोसिएटेड प्रेस)
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बोले – साथ मिलकर करेंगे शांति की प्राप्ति

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीर शेयर की है. जिसमें नाटो के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं. तस्वीर के कैप्शन में राष्ट्रपति ने लिखा, ‘हम सब साथ मिलकर, ज़रूर लोगों की जान की सुरक्षा और शांति प्रदान कर सकते हैं’.

ट्रंप NATO देशों से क्या चाहते हैं?
डानोल्ड ट्रंप चाहते हैं कि 2035 तक NATO में शामिल देश अपने जीडीपी का 5 प्रतिशत खर्च रक्षा पर करें. जिसमें 3.5 प्रतिशत सैन्य जरूरतों और 1.5 प्रतिशत साइबर सिक्यूरिटी और रक्षा के लिए इंफरास्ट्रक्चर पर. इस चाहत को कई NATO देशों ने स्वीकार कर लिया है ताकि ट्रंप इस संगठन से जुड़े रहें.

ट्रंप का पिछले शासन का रिकॉर्ड क्या कहता है?
ट्रंप ने अपने पिछले शासनकाल के दौरान ही स्पष्ट कर दिया था कि वह NATO में शामिल सहयोगी देशों के द्वारा सुरक्षा को लेकर पर्याप्त खर्चा नहीं किए जाने को लेकर नाखुश हैं. उन्होंने 2018 में ही संगठन के सदस्य देशों को सुझाव दिया था कि वह अपने जीडीपी का 4 फीसीदी खर्च करें.

यूक्रेन मुद्दा और रूस
NATO के कई सदस्य देशों का मानना है कि यूक्रेन के साथ जंग के बावजूद रूस अपने सैन्य ताकतों में तेजी से इजाफा कर रहा है. ऐसे में वह अलगे पांच साल में और प्रभावसाली ढंग से हमला कर सकता है.

वहीं, रूस और ट्रंप की बढ़ती नजदीकियों ने यह भी साफ़ कर दिया है कि अब अमेरिका पहले की तरह यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक समर्थन नहीं दे रहा है. ट्रंप के शासन में लौटने और यूक्रेन के प्रति उनके रवैये ने यूरोपिय देशों की चिंता बढ़ा दी है.

बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की सम्मेलन के मुख्य सत्र में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, वह ट्रंप से मुलाक़ात करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान जेलेंस्की अमेरिका से और हवाई सुरक्षा हथियार की मांग कर सकते हैं और साथ ही साथ रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की भी मांग कर सकते हैं.

NATO में विभाजन का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोपिय और नाटो के सदस्य देशों को ये डर है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप को संतुष्ट नहीं किया गया तो अमेरिका नाटों से पीछे हटा सकता है या अनुच्छेद-5 को नहीं मान सकता है.

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