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ड्रेगन को सताने लगी CPEC की चिंता, बलूचों से खुद बात करेगा चीन,,, पाकिस्तान पर भरोसा नहीं…

May 29, 2025

बीजिंग। CPEC यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China–Pakistan Economic Corridor) की खातिर ड्रैगन (Dragon.) खुद ही बलूच समूहों (Baloch groups) से बात करने का मन बना रहा है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। कहा जा रहा है कि इस संबंध में पाकिस्तान (Pakistan) के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Defence Minister Khawaja Asif.) से भी संपर्क साधा जा चुका है। चीन ने 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है।


एक रिपोर्ट में शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चीन अब पाकिस्तान की सेना को दरकिनार कर बलूच समूहों से सीधे बात करने का मन बना रहा है। इसकी वजह CPEC के रुके काम में प्रगति हो सके और बलूचिस्तान में किए गए निवेश की सुरक्षा की जा सके। दरअसल, CPEC पर लगातार बने हुए खतरे के बाद चीन यह कदम उठाने पर विचार कर रहा है। बलूच विद्रोही बार-बार अहम स्थानों पर हमला कर चुके हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि बलूच समूहों से चीन सीधे संपर्क करना चाहता है और BRI यानी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के साझेदारों को एक सकारात्मक संकेत देना चाहता है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन को अब यह लगने लगा है कि बलूचिस्तान के असली संरक्षक बलूची हैं। उसका मानना है कि पाकिस्तानी सेना पर निर्भर रहने का मतलब वादे टूटना है।

चीन का यह भी मानना है कि सीधे बातचीत से हमलों में कमी आएगी, उनके कर्मी सुरक्षित होंगे और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बगैर किसी रोक के खनिज निकाले जा सकें। रिपोर्ट के अनुसार, उनका यह भी मानना है कि इसके चलते पाकिस्तानी सेना पर बोझ भी कम होगा और दोनों मुल्कों में रिश्ते मजबूत होंगे।

बलूच समूहों को नहीं है भरोसा
रिपोर्ट के अनुसार, बलूच समूहों में चीन को लेकर काफी अविश्वास है और साल 2019 में दुबई में हुई गुप्त बातचीत के खत्म होने के बाद यह और बढ़ा है। कहा जा रहा है कि कुछ गुट बातचीत के लिए तैयार हैं। जबकि, कुछ चीन की मंशा को लेकर फैसला नहीं कर पा रहे हैं। ये समूह, स्वायत्तता, राजस्व के बंटवारे और सैन्य अभियानों को खत्म करने जैसे मुद्दे पर बंटे हुए हैं। अब चीन को औपचारिक बातचीत से पहले हर समूह के साथ अलग-अलग बातचीत करनी होगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बलूच जनता CPEC मार्गों पर पुलिस चौकियां बनाने में कथित तौर पर चीन की दिलचस्पी का भी विरोध कर रही है। इसके अलावा ग्वादर बंदरगाह से मिलने वाले राजस्व का 91 फीसदी हिस्सा चीन को खाते में जाता है और स्थानीय समुदायों के लिए सिर्फ थोड़ा ही बचता है। इसके चलते भी बलूच के लोग नाराज हैं।

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