वीजिंग। चीन और ताइवान (China – Taiwan) के बीच सीमा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताइवान के मुद्दे को लेकर चीन और जापान (China-Japan) भी आमने-सामने हैं। जापान के साथ बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच चीन की सेना ने ताइवान जलडमरूमध्य के मध्य क्षेत्रों में नए युद्धाभ्यास सोमवार को शुरू कर दिए हैं। चाइना डेली ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पूर्वी थिएटर कमांड के प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि ‘जस्टिस मिशन 2025’ नामक सैन्य अभ्यास में चीन की थल सेना, वायु सेना, नौसेना, मिसाइल इकाइयों और सेना की अन्य शाखाओं की समन्वित भागीदारी शामिल है।
पीएलए पूर्वी थिएटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल शी यी ने कहा कि इस अभ्यास में हवाई और समुद्री गश्त, शत्रुतापूर्ण ठिकानों पर नकली हमले, प्रमुख बंदरगाहों और क्षेत्रों की नाकाबंदी तथा युद्धक्षेत्र की परिधि के साथ निवारक अभियान शामिल हैं। इन अभ्यासों का उद्देश्य पीएलए की संयुक्त युद्ध और एकीकृत परिचालन क्षमताओं का परीक्षण करना है।
ताइवान के चारों ओर युद्धाभ्यास
उन्होंने कहा कि पीएलए के विमान और नौसैनिक पोत ताइवान के चारों ओर कई दिशाओं से युद्धाभ्यास कर रहे हैं, जबकि विभिन्न सैन्य शाखाएं त्वरित तैनाती और सर्वांगीण परिचालन नियंत्रण का आकलन करने के लिए संयुक्त हमलों का अभ्यास कर रही हैं। शी ने इस अभ्यास को एक कड़ी चेतावनी बताते हुए कहा कि ये अभ्यास ‘ताइवान स्वतंत्रता’ बलों और ताइवान मुद्दे में बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ निर्देशित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अभियान चीन की संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता की रक्षा के लिए एक आवश्यक कदम है।
दरअसल, चीन ताइवान को अपनी मुख्यभूमि का हिस्सा मानता है और इसे अपने साथ मिलाने की कोशिश करता है, जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र रूप से शासित मानता है।
बता दें कि यह युद्धाभ्यास ऐसे समय में हो रहे हैं जब अमेरिका ने ताइपे को रिकॉर्ड 11.1 अरब डॉलर का हथियार पैकेज मंजूर किया है, जिसकी चीन ने कड़ी आलोचना की है। इसके साथ ही ताइवान को लेकर जापान के साथ भी कूटनीतिक तनाव बढ़ गए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान के लिए 11.1 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार पैकेज को मंजूरी दे दी है। अगर अमेरिकी कांग्रेस द्वारा इसे मंजूरी मिल जाती है, तो यह द्वीप को वाशिंगटन की अब तक की सबसे बड़ी हथियार बिक्री होगी।
चीन ने अमेरिका की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वाशिंगटन ने ‘चीन के ताइवान क्षेत्र को भारी मात्रा में उन्नत हथियार बेचने की अपनी योजना की खुलेआम घोषणा की’ और ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ के लिए संघर्षरत अलगाववादी ताकतों को एक बेहद गलत संदेश भेजा है।
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