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बाढ़ की वजह से द‍िल्‍ली में अंतिम संस्कार बंद, हर दिन जलती है 60 चिताएं

September 03, 2025

नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है. कई इलाके पानी में डूब गए हैं. यमुना क‍िनारे रहने वालों पर तो मुसीबत टूटी ही है, अब अंत‍िम संस्‍कार पर भी इसका असर पड़ा है. राजधानी का सबसे बड़ा श्मशान स्थल निगमबोध घाट बुधवार को बाढ़ की चपेट में आ गया. हालात इतने बिगड़ गए कि घाट पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रोकनी पड़ी. जहां हर रोज 55 से 60 अंतिम संस्कार होते हैं, वहां अब जलप्रलय ने चिताओं की अग्नि को थमने पर मजबूर कर दिया है.

सुबह तक स्थिति सामान्य लग रही थी. जो परिवार अपने प्रियजनों को विदाई देने घाट पर पहुंचे थे, उन्होंने किसी तरह अंतिम संस्कार किया. शवों को रखकर चिता सजाई गई और पुरोहितों ने मंत्रोच्चार किए, लेकिन दोपहर होते-होते हालात तेजी से बिगड़ने लगे. जब पानी तेजी से अंदर घुसा तो चिताओं के पास खड़ा होना भी मुश्किल हो गया. घाट के अंदरूनी हिस्से में पानी भरने लगा. पहले तो यह बारिश का पानी माना गया, लेकिन अचानक घाट की दीवार का एक ऊपरी हिस्सा टूट गया. नतीजा यह हुआ कि अब सीधे यमुना का गंदा और तेज बहाव वाला पानी घाट में घुसने लगा.


करीब दो घंटे पहले औपचारिक रूप से आदेश दिया गया कि निगमबोध घाट पर अब कोई नया अंतिम संस्कार नहीं होगा. जो शव सुबह से घाट पर लाए गए थे, उन्हें किसी तरह रोका गया ताकि जलस्तर थोड़ा कम होते ही उनका संस्कार कराया जा सके. लेकिन इसके बाद आने वाले शवों को लौटा दिया जा रहा है. श्मशान घाट के इंचार्ज का कहना है क‍ि जितने शव सुबह आ चुके थे, उन्हें सुरक्षित रख लिया गया है. जैसे-तैसे उनका संस्कार कराया जाएगा. लेकिन अब नए शव यहां स्वीकार नहीं किए जा रहे. परिवारों को निवेदन करके अन्य घाटों पर भेजा जा रहा है.

आम तौर पर निगमबोध घाट पर रोजाना 55 से 60 अंतिम संस्कार होते हैं. यह दिल्ली का सबसे व्यस्त श्मशान स्थल है, लेकिन आज वहां सन्नाटा पसरा है. जिन रास्तों से लोग अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा लेकर आते थे, वहीं अब जलभराव है. श्मशान की चिताएं जहां मुक्ति का प्रतीक होती हैं, वहां आज शव मुक्ति की प्रतीक्षा में पड़े हैं. परिजन असमंजस में हैं कि अपने प्रिय को आखिरी विदाई कहां और कैसे दें.

श्मशान घाट केवल एक जगह नहीं, बल्कि वह भावनात्मक स्थान है जहां लोग अपने प्रियजनों को अंतिम प्रणाम करते हैं. लेकिन जब यह प्रक्रिया अधूरी रह जाए, तो दुख और गहरा हो जाता है. एक परिजन ने नम आंखों से कहा, हम पिता जी को लेकर यहां पहुंचे थे. लेकिन अब कहा जा रहा है कि यमुना का पानी बढ़ गया है, संस्कार नहीं हो पाएगा. हमें किसी और घाट पर जाना होगा. यह और भी पीड़ादायक है. निगमबोध घाट की दीवार टूटने के बाद प्रशासन के लिए चुनौती और बढ़ गई है. अब परिवारों को वैकल्पिक स्थानों पर भेजा जा रहा है, मगर वहां भी भीड़ और इंतजार बढ़ने की आशंका है. दिल्ली में पहले से ही बाढ़ की वजह से यातायात और व्यवस्था बिगड़ी हुई है, ऐसे में शवों को दूसरे घाटों तक ले जाना भी आसान नहीं.

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