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पश्चिम एशिया में तनाव के चलते भारत ने रूस से बढ़ाया कच्चे तेल का आयात

June 22, 2025

नई दिल्ली. ईरान इस्राइल युद्ध (iran israel war) में अमेरिका (America) की एंट्री हो चुकी है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों (Nuclear bases) पर रविवार तड़के बम बरसाए। जिसके बाद ईरान ने भी पलटवार की धमकी दी है। इस घटनाक्रम के बाद पश्चिम एशिया (West Asia) में तनाव बढ़ने की आशंका है। इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। हालांकि भारत ने पहले ही हालात को भांपते हुए रणनीति के तहत रूस और अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। भारत ने जून महीने में रूस से इतना तेल खरीदा है, जो पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से खरीदे गए कुल कच्चे तेल से भी ज्यादा है।

रूस से तेल खरीद में भारी उछाल
वैश्विक व्यापार विश्लेषक फर्म कैपलर के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने जून महीने में रूस से 20-22 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चे तेल की खरीद की है। यह बीते दो साल में सबसे ज्यादा है। मई माह में भारत ने रूस से तकरीबन 11 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा था। भारत पहले रूस से अपनी जरूरत का महज एक प्रतिशत तेल ही आयात करता था, लेकिन अब इसमें भारी बढ़ोतरी हुई है और अब भारत अपने कुल तेल आयात का 40-44 प्रतिशत तेल रूस से मंगाता है।

पश्चिम एशिया तनाव के चलते बढ़ सकते हैं तेल के दाम
साफ है कि जून में पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के चलते भारत ने अपनी आयात रणनीति में बदलाव किया है। भारत ने जून माह में इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से कुल करीब 20 लाख बैरल प्रति दिन तेल की खरीद की है। हालांकि तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ईरान ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका इस्राइल के साथ उसके युद्ध में शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमले करेंगे। भारत का 40 प्रतिशत तेल अभी भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारत पहुंचता है। ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना सकते हैं। जिससे खाड़ी के देशों से तेल आयात को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यही वजह है कि भारत ने खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता को घटाया है।

अमेरिका से भी आयात बढ़ाया
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और पूर्व में भारत अपने तेल आयात का अधिकतर हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता था, लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, जब रूस ने भारत को तेल खरीद पर भारी रियायत दी तो भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया। अब भारत अपने तेल आयात के लिए खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि अब हम रूस के साथ ही अमेरिका, लैटिन अमेरिकी देशों से भी कच्चे तेल की खरीद कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका से हमें तेल आयात महंगा पड़ता है। कैपलर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जून में अमेरिका से हर हिन 4.39 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की, जबकि पूर्व में यह आंकड़ा 2.80 लाख बैरल प्रति दिन था। भारत करीब 51 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता है, जिससे भारत की रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल अलग किया जाता है।

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