
नई दिल्ली। देश के रेलवे जोन्स ट्रेन चालकों (Railway Zones Train Drivers) के काम के घंटों में हेराफेरी कर रहे हैं। वे लोको पायलट्स (Loco Pilots) के अधिक इस्तेमाल को छिपाने के लिए ऑनलाइन क्रू मैनेजमेंट सिस्टम (Crew Management System) में 12 से 16 घंटे की यात्रा के दौरान ड्यूटी ब्रेक को गलत तरीके से दर्ज कर रहे हैं। लोको पायलट यूनियन ने ये आरोप लगाए हैं।
रेलवे के नियमों के अनुसार, किसी लोको पायलट को एक बार में 9 घंटे से ज्यादा और साइन-ऑन से साइन-ऑफ तक कुल मिलाकर 11 घंटे से ज्यादा काम नहीं करना है। 2021 से, रेलवे बोर्ड के सुरक्षा विभाग ने सभी जोनल रेलवे को निर्देश दिया है कि 80 प्रतिशत ट्रिप 9 घंटे की सीमा के भीतर पूरी की जाएं।
रेल मंत्रालय ने पहले कहा था कि उसने न केवल लोको पायलटों की भर्ती शुरू की है, बल्कि उनके लिए कई सुविधाएं भी उपलब्ध कराई हैं, जिनमें 900 से अधिक इंजनों में मूत्रालय की सुविधा, 7,000 से अधिक इंजनों में एयर कंडीशनिंग प्रणाली और रेल नेटवर्क में सभी 558 रनिंग रूम का उन्नयन शामिल है।
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) ने कहा है कि सुरक्षा नियम लोको पायलटों पर जरूरत से ज्यादा ड्यूटी का बोझ डालने से रोकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रेल प्रशासन 15-20 प्रतिशत कर्मचारियों की कमी की भरपाई के लिए नियमित रूप से इन नियमों का उल्लंघन कर रहा है।
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