
इंदौर। पंजीयन विभाग (Registration Department) का कहना है कि आचार संहिता (Code of conduct) खत्म होने के बाद रजिस्ट्रियों (Registries) की संख्या में इजाफा हो रहा है, क्योंकि अब नकदी का लेन-देन बढ़ गया है। अभी जून के 10 दिनों में ही लगभग 40 करोड़ का राजस्व (40 crore revenue) विभाग ने अर्जित किया, जो कि गत वर्ष से 8 फीसदी ज्यादा है। वहीं अभी तक विभाग ने 365 करोड़ रुपए का राजस्व (Revenue of Rs 365 crore) 30 हजार 340 दस्तावेजों के पंजीबद्ध होने के चलते स्टाम्प ड्यूटी से अर्जित कर लिए हैं। इस वित्त वर्ष का लक्ष्य मुख्यालय ने 2925 करोड़ का, यानी गत वर्ष से 21 फीसदी ज्यादा का थमाया है।
पिछले वित्त वर्ष में पंजीयन विभाग ने 2415 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया था और इस साल उसमें 21 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। मगर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते चूंकि नकद का लेन-देन घट गया था और बाहर से आकर जो रजिस्ट्रियां करवाते हैं उनकी भी संख्या कम हो गई थी। यहां कारण है कि पंजीयन विभाग को मई माह में 282 करोड़ का राजस्व मिला, जो कि गत वर्ष की तुलना में सिर्फ 2 करोड़ अधिक रहा। हालांकि दस्तावेजों की संख्या में दो हजार से अधिक का अंतर रहा। मगर मई के माह में बड़ी की बजाय छोटी रजिस्ट्रियां अधिक हुई, जिनमें कम नकदी लगती है। गत वर्ष मई में जहां 13340 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए थे, तो इस साल उनकी संख्या 15310 तक पहुंच गई। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा के मुताबिक अभी 1 जून से रजिस्ट्रियों की संख्या में वृद्धि दर्ज होने लगी है और औसतन 700 रजिस्ट्रियां हो रही है और उम्मीद है कि यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा। गत वर्ष 10 जून तक 354 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 365 करोड़ तक पहुंच गया है। यानी 8 फीसदी की वृद्धि है। गत वर्ष इसी अवधि में लगभग 28 हजार दस्तावेज पंजीबद्ध हुए थे, तो इस बार यह संख्या 30340 रही है। इंदौर में रियल इस्टेट का कारोबार बीते डेढ़ साल से तेजी से ही चल रहा है, जिसमें चुनावी आचार संहिता के दौरान कुछ कमी आई। मगर अब फिर रजिस्ट्रियों की संख्या बढ़ेगी। यही कारण है कि महानिरीक्षक पंजीयन ने 21 फीसदी अधिक का लक्ष्य इस वित्त वर्ष के लिए थमाया है, जो कि 2925 करोड़ रुपए होता है। पिछले साल 2415 करोड़ इंदौर जिले से हासिल किए गए थे।
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