
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद(Economic Advisory Council to the Prime Minister) यानी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल टू प्राइम मिनिस्टर (EAC-PM) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी(a report issued) की है। इस रिपोर्ट में भारत में प्रवासियों(Migrants in India) के आंकड़ों का अध्ययन(Study of data) किया गया है। नई रिपोर्ट में कहा है कि देश में प्रवास की गति धीमी हो रही है और देश में प्रवासियों की कुल संख्या में 2011 की जनगणना की तुलना में 11.78 प्रतिशत की कमी आई है। काउंसिल के मुताबिक जहां जनगणना 2011 में प्रवासियों की कुल संख्या 45.57 करोड़ थी, वहीं 2023 तक देश में प्रवासियों की कुल संख्या 40.20 करोड़ होने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जनगणना 2011 के अनुसार प्रवास की दर जो 37.64 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है।
इस रिपोर्ट को पीएम आर्थिक सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबरॉय और फिलहाल इस परिषद में निदेशक के रूप में तैनात आईआरएस अधिकारी देवी प्रसाद मिश्रा ने मिलकर तैयार किया है। उनके मुताबिक यह रिपोर्ट इंटरनल माइग्रेशन खास तौर पर ब्लू कॉलर माइग्रेशन का विश्लेषण करने के लिए आंकड़े इकठ्ठा करने की एक कोशिश है। रिपोर्ट के मुताबिक छोटे शहरों में बेहतर आर्थिक अवसरों की वजह से भारत में माइग्रेशन की गति धीमा हो रही है। पेपर में लिखा है, “हम परिकल्पना करते हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी जैसी बेहतर सेवाओं की मौजूदगी या उसके आस-पास बेहतर आर्थिक अवसरों की वजह से यह गति धीमी हुई है।
कैसे तैयार हुई रिपोर्ट
‘400 मिलियन ड्रीम्स!’ शीर्षक वाले इस रिपोर्ट में आंकड़ों के विश्लेषण के लिए तीन डेटासेट का इस्तेमाल किया गया। इसमें भारतीय रेलवे अनारक्षित टिकट प्रणाली (यूटीएस) के पैसेंजर वॉल्यूम का डेटा; भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से मोबाइल टेलीफोन उपभोक्ताओं का रोमिंग डेटा और रेमिटेंस पर जिला स्तरीय बैंकिंग डेटा का इस्तेमाल किया गया। हालांकि रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया कि इस विधि से सिर्फ एक अनुमान लगाया गया है और असली आंकड़े जनगणना के बाद ही बताए जा सकते हैं।
क्या कहते हैं राज्यवार आंकड़े
प्रवासियों को आकर्षित करने वाले टॉप पांच राज्यों की संरचना भी बदल गई है। इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल और राजस्थान ने जगह बनाई है। वहीं आंध्र प्रदेश और बिहार एक पायदान नीचे पहुंच गए हैं। इस टॉप-5 की लिस्ट में यूपी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां कुल प्रवासियों के हिस्से का प्रतिशत कम हो गया है।
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