
नई दिल्ली । चुनाव आयोग (Election Commission) ने बिहार विधानसभा चुनावों में ‘मिसमैच’ थ्योरी (‘Mismatch’ theory in Bihar Assembly Elections) को खारिज कर दिया (Rejected) । आयोग ने झूठे दावों को उजागर करने के लिए पोस्टल बैलेट समेत पोलिंग डेटा का हवाला दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल दावों में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों की संख्या रजिस्टर्ड वोटरों की कुल संख्या से ज्यादा थी, जिससे पोलिंग प्रोसेस में गड़बड़ी और धांधली का पता चलता है। दावा किया गया कि चुनाव आयोग ने एसआईआर के बाद 30 सितंबर को जारी अपनी फाइनल लिस्ट में कुल 7.42 करोड़ वोटर्स दिखाए थे, लेकिन 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए खत्म हुए मतदान के बाद पोल पैनल ने अपने बयान में कुल वोटर्स की संख्या 7.45 करोड़ दिखाई। खास बात यह है कि चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को जारी अपने फाइनल इंडेक्स कार्ड में वोटर टर्नआउट को रिकॉर्ड 67.13 प्रतिशत बताया था।
पोल पैनल ने शुक्रवार को इन बातों पर ध्यान दिया और वोटर्स के बीच अंतर के दावों को गलत बताया। आयोग ने कहा कि गलत डेटा में पोस्टल बैलेट को शामिल नहीं किया गया है, जिससे पोलिंग प्रक्रिया की ईमानदारी पर शक पैदा होता है। चुनाव आयोग डेटा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बिहार चुनाव में कुल 2,01,444 पोस्टल बैलेट डाले गए, जिनमें से 23,918 रिजेक्ट हो गए। ईवीएम और पोस्टल बैलेट दोनों में कुल 9,10,730 वोटरों ने नोटा चुना।
पोल पैनल ने कहा कि ईवीएम वोट और पोस्टल बैलेट को मिलाकर, वैलिड वोटर्स की संख्या ऑफिशियल नंबर से पूरी तरह मेल खाती है, जिससे चुनाव आयोग का डेटा 100 प्रतिशत सही है। 5,000,29,880 वोटों के अनुमानित आंकड़े को खारिज करते हुए आयोग ने दावा किया कि अगर फाइनल गिनती में 1,77,526 पोस्टल बैलेट शामिल किए जाएं, तो नंबर चुनाव आयोग के नंबर से पूरी तरह मेल खाते हैं।
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