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वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया जवाब, कहा- हमारे लिए न कोई पक्ष, न विपक्ष, सभी समकक्ष

August 18, 2025

नई दिल्ली । वोट चोरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग (Election Commission) ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar) ने विपक्ष (Opposition) के आरोपों पर जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारतीय संविधान के मुताबिक भारत के सभी नागरिक जो 18 साल की उम्र पूरी कर चुका है उसे वोटर बनना चाहिए और वोट भी डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप सभी जानते हैं कि सभी राजनीतिक दलों का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से ही होता है। ऐसे में चुनाव आयोग किसी दल के प्रति गलत भावना कैसे रख सकता है। उन्होंने कहा कि दोहरे मतदान और ‘वोट चोरी’ के निराधार आरोपों से न तो निर्वाचन आयोग और न ही मतदाता भयभीत हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी लगे, क्या इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में ‘वोट चोरी’ हो सकती है।

वोट चोरी का आरोप संविधान का अपमान
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि कहा कि हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किस राजनीतिक दल से संबंध रखता है। आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता। चुनाव प्राधिकरण के समक्ष सत्तारूढ़ और विपक्षी दल समान हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद मतदाता सूची में सभी त्रुटियों को दूर करने के उद्देश्य से है। निर्वाचन आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं, बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से मिलकर काम कर रहे हैं। सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा कि वोट चोरी का आरोप संविधान का अपमान है।


एसआईआर को लेकर गलत सूचना फैला रहे
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से बिहार में मतदाता सूची के मसौदे पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने को कहा। इसमें अभी 15 दिन शेष हैं। उन्होंने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल और उनके नेता बिहार में एसआईआर के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि सभी हितधारक पारदर्शी तरीके से एसआईआर को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। विपक्ष की मांग पर चुनाव आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में ही कहा था कि मशीन से पढ़ी जा सकने वाली मतदाता सूची साझा करने से मतदाताओं की निजता भंग हो सकती है।

बिना अनुमति तस्वीरें मीडिया के सामने पेश की गईं
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, उनके सीसीटीवी वीडियो साझा करने चाहिए? जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।

क्यों कहा गंभीर चिंता का विषय
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित बीएलए के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के एसआईआर को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

45 दिन बाद आरोप क्यों
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एक बार जब एसडीएम द्वारा अंतिम सूची प्रकाशित हो जाती है, तो मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती है। अंतिम सूची भी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है, यह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है। मतदान केंद्रवार सूची दी जाती है। प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार है और यही सूची पोलिंग एजेंट के पास भी होती है। रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद भी, एक प्रावधान है कि आप 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और चुनाव को चुनौती दे सकते हैं। जब 45 दिन पूरे हो जाते हैं चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, बिहार हो, और जब किसी भी पार्टी को 45 दिनों में कोई गलती नहीं मिली, तो आज इतने दिनों के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे उनका मकसद क्या है, यह पूरे देश के लोग समझते हैं।

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