
नई दिल्ली । चुनाव आयोग (Election Commission) ने विपक्ष की तरफ से ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर (To the use of words like ‘Vote Theft’ by the Opposition) कड़ी आपत्ति जताई (Strongly Objected) । विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस पिछले दो हफ्तों से ‘वोट चोरी’ नाम से कैंपेन चला रहे हैं। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, आयोग का कहना है कि ‘वोट चोर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश न सिर्फ करोड़ों भारतीय मतदाताओं पर सीधा हमला है, बल्कि लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर भी हमला है।
सूत्रों के अनुसार, ईसीआई का कहना है कि ‘एक व्यक्ति एक वोट’ का कानून 1951-1952 में भारत के पहले चुनाव के बाद से ही अस्तित्व में है। यदि किसी के पास यह प्रमाण है कि कोई व्यक्ति किसी चुनाव में दो बार वोट डाल चुका है, तो उसे आयोग को लिखित हलफनामे के साथ जानकारी देनी चाहिए, न कि बिना सबूत पूरे देश के मतदाताओं को ‘चोर’ कहकर अपमानित किया जाना चाहिए।
सूत्रों ने कहा, “आयोग चिंतित है कि इस तरह की बयानबाजी न सिर्फ करोड़ों भारतीय मतदाताओं पर संदेह पैदा करती है, बल्कि चुनाव कराने में लगे चुनाव अधिकारियों की विश्वसनीयता को भी कमजोर करती है। यह प्रतिक्रिया लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की हालिया टिप्पणियों के बाद आई है, जिन्होंने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर “वोट चुराने” का आरोप लगाया है। 7 अगस्त को राहुल गांधी ने मीडिया के सामने एक प्रेजेंटेशन दी, जिसमें महादेवापुरा विधानसभा क्षेत्र के कुछ मतदाताओं की सूची दिखाई।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग हमें डेटा इसलिए नहीं दे रहा, क्योंकि उनको डर है कि हमने जो महादेवापुरा में किया, वही बाकी लोकसभा सीट में कर देंगे तो देश के लोकतंत्र की सच्चाई बाहर आ जाएगी। राहुल गांधी ने अपने बयान में आगे कहा, “हमारे पास आपराधिक सबूत हैं, लेकिन चुनाव आयोग देशभर में सबूत को खत्म करने में लगा है। चुनाव आयोग भाजपा से मिला हुआ है और उनकी मदद कर रहा है।”
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