
जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former Chief Minister Ashok Gehlot) ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी से शपथ पत्र की मांग करना (Election Commission’s demand for affidavit from Rahul Gandhi) बेतुका है (Is Absurd) ।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “राहुल गांधी ने सारे सबूत जनता के सामने रखकर चुनाव आयोग की तरफ से वोटर लिस्ट में की जा रही ‘वोट चोरी’ को उजागर किया है, उस पर पूरे देश को भरोसा है। चुनाव आयोग की शपथ पत्र की मांग एकदम बेहूदा और अपनी इज्जत बचाने का प्रयास लगती है।”
उन्होंने आगे लिखा, “एनडीए सरकार के दौरान ही 2018 में मुख्य चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत ने कहा कि जब वे चुनाव आयुक्त थे, तब कोई वरिष्ठ नेता आरोप लगाता तो चुनाव आयोग खुद उसकी जांच कर जनता के सामने तथ्य प्रस्तुत करता, जिससे जनता का चुनाव आयोग में विश्वास बना रहे। पूर्व में भी तमाम विपक्षी नेताओं जैसे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी सहित कई तत्कालीन विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे। इनमें से कितने नेताओं ने चुनाव आयोग में शपथ पत्र जमा हैं?”
अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली भारत को उन देशों की तरह बना रही है, जहां एक ही पार्टी का वर्चस्व होता है, जैसे नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने “वोट चोरी” के सबूत जनता के सामने रखकर वोटर लिस्ट में हो रही कथित गड़बड़ियों का खुलासा किया है। “देश को उन सबूतों पर भरोसा है। चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्र की मांग करना बेतुका है और यह केवल अपनी साख बचाने का प्रयास लगता है ।
उन्होंने तर्क दिया कि यदि राहुल गांधी के बजाय कोई खोजी पत्रकार या मीडिया संस्थान इस तरह का खुलासा करता, तो क्या आयोग निष्पक्ष जांच करता या उनसे भी शपथ पत्र की मांग करता? अंत में, गहलोत ने चेतावनी दी कि “नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस में भी चुनाव आयोग औपचारिक रूप से चुनाव कराता है, लेकिन सबको पता है कि वहां चुनाव कैसे होते हैं। क्या भारत में भी वैसा ही मॉडल लागू करने की तैयारी हो रही है?”
कांग्रेस के अलावा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “एफिडेविट (शपथ-पत्र) एक शपथयुक्त घोषणा होती है कि दी गई जानकारी व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सत्य है और इसे कानूनी कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां तो सिर्फ चुनाव आयोग के अपने ही दस्तावेजों का इस्तेमाल वोट चोरी साबित करने के लिए किया गया है, तो फिर एफिडेविट की जरूरत क्यों?”
दरअसल, 7 अगस्त को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गंभीर आरोप लगाए कि देश में विपक्ष चुनाव इसलिए हार रहा है, क्योंकि चुनाव आयोग वोटों की चोरी में शामिल है। इस दौरान राहुल गांधी ने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा सीट के नतीजों और वोटर लिस्ट में कुछ मतदाताओं के नामों को खुलासे के तौर पर दिखाया था।
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