
नई दिल्ली: चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि बिहार (Bihar) सघन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बिना नोटिस (Notice) जारी किए किसी भी मतदाता (Voters) का नाम लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा. 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले दाखिल जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है कि वह कानूनी तरीके से अपना काम कर रहा है. ऐसा कानून ज़रूरी नहीं कि ड्राफ्ट लिस्ट से हटे नामों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए.
आयोग ने कहा है कि वह सभी मतदाताओं को सुनवाई और दस्तावेज रखने का पूरा अवसर देगा, जिनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हो सकेगा, उनके बारे में लिखित आदेश जारी किया जाएगा. मतदाताओं को लिखित आदेश के विरोध में 2 स्तरों पर अपील करने की सुविधा दी जाएगी. यह सारी जानकारी उन लोगों को दी जाएगी, जो इस मामले में व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होंगे.
हलफनामे में कहा गया है कि ड्राफ्ट लिस्ट में छूटे हुए नामों की अलग से लिस्ट बनाने का कोई नियम नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता लिस्ट को अधिकार की तरह नहीं मांग सकते. कोर्ट को गुमराह करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर हर्जाना लगाना चाहिए.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने मतदाताओं तक जानकारी पहुंचाने के लिए समय-समय पर देश के सभी बड़े अखबारों में विज्ञापन जारी किए हैं. नियमित रूप से प्रेस रिलीज भी जारी की जा रही है. एसएसएस भेज कर लोगों को जागरूक किया गया. बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने घर-घर जाकर लोगों की पुष्टि करने की कोशिश की, जो लोग 1 अक्टूबर 2025 को 18 वर्ष की आयु के हो जाएंगे, उनका भी फॉर्म एडवांस में लिया जा रहा है. बुजुर्ग, दिव्यांग या किसी अन्य कारण से असहाय मतदाताओं की पूरी सहायता की जा रही है.
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