
नई दिल्ली । पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections Results) के नतीजों का ऐलान होने में थोड़ा ही वक्त बाकी है. प्रचार और मतदान के लंबे दौर के बाद गुरुवार को तय होगा कि पंजाब (Punjab), उत्तर प्रदेश (UP), गोवा (Goa), मणिपुर (Manipur) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में आखिर किसकी सरकार बनेगी. अब खास बात यह है कि ये चुनाव केवल पांच राज्यों के ही नहीं, बल्कि राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी काफी अहम हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है और अगले चुनाव में ये पांच राज्यों के नतीजे तय करेंगे कि किस पार्टी या गठबंधन की राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक भूमिका होगी. इस स्थिति को विस्तार से समझते हैं.
आज की स्थिति देखें, तो भारतीय जनता पार्टी देश के शीर्ष पद पर अपने उम्मीदवार का चुनाव आसानी से करा सकती है, लेकिन ऐसे में यूपी चुनाव के उलटफेर वाले नतीजे सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं. अगर यह स्थिति बनी तो बड़ी संख्या में वोटों को नियंत्रित करने वाले बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी बड़ी भूमिका में आ जाएंगे.
यूपी चुनाव क्यों है अहम?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपी विधानसभा चुनाव जरूरी इसलिए हैं, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा जनसंख्या के मद्देनजर एक विधायक के वोट की कीमत सबसे ज्यादा (208) है. राज्य में कुल 403 विधायक हैं. यूपी विधानसभा से वोटों की कुल कीमत 83 हजार 924 है. यह संख्या देश में सबसे ज्यादा है. जबकि, सिक्किम में एक वोट की कीमत सबसे कम (7) है.
अन्य चुनावी राज्यों का खेल
पंजाब के विधायक के वोट की कीमत 116, उत्तराखंड की 64, गोवा की 20 और मणिपुर की 18 है. कई गणनाओं के अनुसार, नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस की ताकत 50 फीसदी के आंकड़े से थोड़ी ही कम है. ऐसे में राष्ट्रपति उम्मीदवार की मजबूत दावेदारी के लिए सहयोगी पार्टियों के समर्थन पर निर्भर रहना होगा.
ऐसे समझें पूरा गणित
राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य होते हैं. खास बात है कि विधान परिषद और नामित सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा नहीं होते. आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो राज्यसभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4120 सदस्यों से इलेक्टोरल कॉलेज बनता है. यहां चुनने वालों की कुल संख्या 4896 है.
4896 निर्वाचकों वाले इलेक्टोरल कॉलेज की कीमत 10 लाख 98 हजार 903 होती है. और जीतने वाले उम्मीदवार को कम से कम 50 फीसदी और एक वोट हासिल करना जरूरी है. देश की विधानसभाओं में भाजपा के 1431 विधायक हैं. जबकि, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 766 है. इधर, लोकसभा में एनडीए के सदस्यों की संख्या 334 और राज्यसभा में 115 है. राज्यसभा के 115 सदस्यों में से भाजपा के 9 सदस्य मनोनीत श्रेणी में शामिल हैं और वोट नहीं दे सकते. ऐसे में एनडीए का आंकड़ा 106 पर आ गया है. यहां हर सांसद के वोट की कीमत 708 होती है.
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