
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की तारीफ की। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं है। उनका कहना है कि एक साथ चुनाव होने से शासन में सुधार होगा।
मंत्री मेघवाल ने एक इंटरव्यू में कहा कि 1952 से पहले के कुछ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। अगर वह संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं थे, तो अब क्यों कोई समस्या होगी। उन्होंने कहा कि जो लोग ‘एक देश, एक चुनाव’ का विरोध कर रहे हैं, वे राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते थे कि सदन की एक समिति मसौदा कानूनों की जांच करे। संयुक्त समिति की पहली बैठक में विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि ने सदस्यों को एक साथ चुनाव कराने के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया था। 39 में से 38 सदस्यों ने इस बैठक में भाग लिया था। सभी दलों के लोग थे।
उन्होंने आगे कहा, ‘अब आरोप लगा रहे हैं कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। मैं कहना चाहता हूं कि 1952 के चुनाव हुए, सभी विधानसभाओं के चुनाव भी एक साथ हुए। 1957, 1962 के चुनाव एक साथ हुए थे। 1967 के चुनाव एक साथ हुए। तब संघीय ढांचा खराब नहीं हुआ तो अब यह कैसे खराब हो जाएगा?’
उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सुशासन को बढ़ावा मिलेगा और विकास की गति बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता के कारण समय-समय पर उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को दूर किया जाएगा।
कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति में विपक्ष के सदस्यों को समझाया गया है कि समकालिक प्रणाली क्या है और उन्होंने इसे समझ लिया है। लोकसभा की ‘नियत तारीख’ क्या है, यह उन्हें भी बता दिया गया है, वे सब कुछ समझ गए हैं। अगर अब कोई विरोध कर रहा है तो यह सब राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है।
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